
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सोमवार को दहेज (Dowry) की सामाजिक बुराई को रोकने के लिए ठोस निर्देशों (concrete instructions) की मांग वाली एक रिट याचिका (writ petition) पर कहा कि यदि विधि आयोग (law commission) इस मुद्दे पर अपने सभी दृष्टिकोणों के तहत विचार करता है तो ये उचित होगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को विधि आयोग को सभी प्रासंगिक पहलुओं पर शोध का एक नोट प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए रिट याचिका का निपटारा कर दिया।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि दहेज एक सामाजिक बुराई है। शादी में दिए गए आभूषण और अन्य संपत्ति को कम से कम सात साल तक महिला के नाम पर रखने की प्रार्थना बहुत मान्य है और विधायिका इस पर बहुत गंभीरता से विचार करेगी।
याचिका में अन्य प्रार्थना विवाह पूर्व विवाह पाठ्यक्रम आयोग के गठन को लेकर है जिसमें कानूनी विशेषज्ञ, शिक्षाविद, मनोवैज्ञानिक, सेक्सोलॉजिस्ट शामिल हों, ताकि विवाह में प्रवेश करने से पहले व्यक्ति विवाह काउंसलिंग से गुजरें और इस पाठ्यक्रम को विवाह पंजीकरण के लिए अनिवार्य बनाया जाए।
वास्तव में ऐसे समुदाय हैं जो काउंसलिंग की इस प्रणाली का पालन करते हैं। आप यह सब कानून आयोग को संबोधित कर सकते हैं ताकि वह इस पर गौर कर सके और कानून को मजबूत करने के लिए संशोधनों का सुझाव दे सके।
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