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वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड बताएगा मिट्टी की गुणवत्ता

February 24, 2022

  • मिट्टी में पाए गए तत्वों के आधार पर वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए जाएंगे

भोपाल। वनों की मृदा की गुणवत्ता, कमियों का पता लगाने के लिए वन व पर्यावरण मंत्रालय की योजना के अंतर्गत वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के लिए शोध कार्य चल रहा है। देश के अलग-अलग अनुसंधान केंद्रों के साथ ही शहर में स्थित उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान- टीएफआरआई द्वारा भी मप्र, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के 157 वन मंडलों के वनों की मृदा के नमूने एकत्र कर शोध कार्य किया जा रहा है। इसमें मप्र के 64 वन मंडल शामिल हैं। जबकि देश में 788 के करीब वन मंडल हैं। मृदा परीक्षण व शोध कार्य के बाद वन मंडलों से मिली मृदा में पाए गए तत्वों के आधार पर वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए जाएंगे। जो कि कार्य पूरा होने के बाद वन मंडलों को तो सौंपे ही जाएंगे साथ ही पोर्टल पर भी अपलोड होंगे। जिससे जो भी यह जानना चाहता है कि वनोपज को बढ़ाने के लिए किस वन में कौन से वृक्षों का पौधरोपण किया जाए वह पोर्टल पर डली मृदा संबंधित जानकारी को प्राप्त कर सकेगा।


इसलिए पड़ी आवश्यकता
वन्य संपदा और वनोपज की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए इस परियोजना की आवश्यकता महसूस की गई। वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए उदाहरण के लिए यह बताया जाएगा कि यदि किसी मृदा का पीएच ज्यादा है तो वहां साल लगाए जाना चाहिए या सागौन। यदि मृदा में नाइट्रोजन अच्छा है तो कोई भी वृक्ष लगा सकते हैं। यदि नाइट्रोजन कम है तो टीक के वृक्ष भी लगाए जा सकते हैं। यह जानकारी होने से वनोपज को बेहतर बनाया जा सकेगा।

64 में से करीब 33 में हो गया शोध पूरा
वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड परियोजना के विज्ञानी डा. अविनाश जैन ने बताया कि यह शोध कार्य टीएपआरआई के निदेशक डा. राजेश्वर राव के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। टीएफआरआइ के अंतर्गत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ प्रदेश आते हैं। इसलिए मृदा परीक्षण कार्य भी तीनों प्रदेशों के वन मंडल के लिए किया जा रहा है। वर्ष 2019 से इस परियोजना की शुरुआत हुई थी। बीच में कोरोना के कारण आए व्यवधान के कारण वर्तमान तक एक साल का शोध कार्य किया जा चुका है। इस कार्य को आगामी चार सालों में पूरा करना है। जिसमें मप्र के 64 में से करीब 33 वन मंडलों पर रिसर्च कार्य पूरा हो चुका है। इसके साथ ही महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के वनमंडलों में मृदा परीक्षण का कार्य शुरू हो चुका है। इस कार्य में विज्ञानी डा. जंगम दीपिका का सहयोग मिल रहा है। कार्य वन पारिस्थितिकी व जलवायु परिवर्तन प्रभाग के निर्देशन में हो रहा है।

इस आधार पर बनेंगे वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड
मृदा परीक्षण व शोध कार्य के बाद वन मंडलों से मिली मृदा में पाए गए तत्वों के आधार पर वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए जाएंगे। मृदा में उपस्थित सूक्ष्म व अतिसूक्ष्म उपयोगी तत्वों का निर्धारण किया जाएगा। उपयुक्त वृक्ष प्रजातियों का चयन होगा। मृदा में किसी तत्व की कमी को दूर करने के सुझाव दिए जाएंगे। वनों के प्रकार, ढाल, स्वरूप और समुद्र तल से ऊंचाई के आधार पर मृदा के नमूने एकत्र किए जाएंगे। मृदा के परीक्षण व शोध के बाद प्राप्त परिणामों के साथ ही पोषक प्रबंधन अभ्यासों का विस्तृत वर्णन भी होगा।

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