
ब्रसेल्स। यूरोपीय संघ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन की निगरानी कर रहा है। यूरोपीय संघ ने बुधवार को यह जानकारी दी। यूरोपीय संघ वहां की स्थिति पर बहुत बारीकी से नजर रख रहा है।
केंद्रीय सचिव और विदेश मामलों की समिति, यूकेपीएनपी और डिवीजन यूरोपीय संघ के उप प्रमुख डेरेन डेरिया ने ये बातें जमील मकसूद के 22 फरवरी के पत्र का जवाब देते हुए कहीं। जमील मकसूद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद जेनेवा में गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि हैं।
डेरिया ने अपने बयान में दोनों क्षेत्रों में गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात कही। डेरिया ने कहा कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण और दोनों के बीच आपसी सहमति से हुए राजनीतिक समाधान में विश्वास करते हैं। दोनों के बीच ऐसा समाधान जो पीओके में रहने वाले लोगों के हित में हो।
यूरोपीय संघ की रिपोर्ट की सिफारिश के मुताबिक, दोनों पक्ष सभी नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करने के लिए बाध्य हैं। रिपोर्ट में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार जांच कराने की बात भी कही गई है।
यूरोपीय संघ ने कहा है कि सभी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को संरक्षित किया जाना चाहिए। डेरिया ने आगे कहा कि दिसंबर 2021 में हुई 7वीं ईयू-पाकिस्तान राजनीतिक वार्ता और 6वीं ईयू-पाकिस्तान सामरिक वार्ता में हमने यहां की स्थ्ति के बारे में पाक के शीर्ष नेत्तृव को जानकारी दी थी।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद जेनेवा में गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि जमील मकसूद ने अपने पत्र में पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के निवासियों की दुर्दशा पर चिंता जताई थी।
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