
इंदौर। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से सम्बन्धित एमवाय सहित अन्य अस्पतालों के मरीज सीटी स्कैन और एमआरआई के लिए कृष्णा डाइग्नोसिस पर निर्भर हैं, जिसका टेंडर पिछले साल 2021 में ही खत्म हो चुका था। एमवाय प्रशासन कई बार मांग कर चुका है कि नया टेंडर निकाला जाए, मगर भोपाल में बैठे आला अफसरों की मेहरबानी के चलते नई कंपनी ढूंढने के बजाय इसी कंपनी का ठेका एक साल आगे बढ़ाया जा रहा है।
एमवाय हॉस्पिटल में एमआरआई और सीटी स्कैन की सुविधाएं देने के लिए एमवाय अधीक्षक ने 2015 में टेंडर निकाला था। 2016 में कंपनी को पांच साल के लिए कृष्णा डाइग्नोसिस को जिम्मेदारी दी थी, जो 31 मार्च 2021 को खत्म हो गई। नवंबर 2020 में मप्र सरकार ने पूरे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों द्वारा संचालित बड़े अस्पतालों में सीटी स्कैन और एमआरआई की व्यवस्था करने के लिए टेंडर निकाला था। इस बीच अप्रैल-मई 2021 में कृष्णा ने आयुष्मान मरीजों की सीटी स्कैन और एमआरआई बंद कर दी, ताकि एमवाय प्रशासन पर ठेका आगे बढ़ाने का दबाव बनाया जा सके। हुआ भी ऐसा ही। भोपाल में बैठे अधिकारियों के दबाब के चलते इसका कार्यकाल यह कर बढ़ा की नई कंपनी को सेंटर स्थापित करने में थोड़ा समय लगेगा, मगर एक साल पूरा हो गया, लेकिन न तो नई कंपनी ने काम संभाला और न ही पुराना टेंडर रद्द होने के बाद सरकार के स्तर पर सीटी स्कैन और एमआरआई के लिए नया टेंडर निकाला गया।
इसी का फायदा उठाकर कृष्णा ने 15 दिन से फिर आयुष्मान कार्डधारकों की सीटी स्कैन और एमआरआई बंद कर दी। फिर दबाव बनाने का वही खेल जारी है, जिससे ठेके की अवधि बढ़वाई जा सके। चूंकि नया टेंडर हुआ ही नहीं है, इसीलिए प्रशासन के पास ठेका बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कृष्णा डाग्नोसिस सेंटर एमवायएच परिसर में ही स्थापित है। यह परिसर एमजीएम ने कंपनी को दिया है। कंपनी ने इसी परिसर में रहकर एमवाय के मरीजों की जांच बंद कर दी, जबकि बाहरी मरीजों की सीटी स्कैन और एमआरआई जारी है। एमजीएम चाहता तो कंपनी के दबाव के जवाब में कृष्णा डाइग्नोसिस की बाहरी जांच बंद कराकर सकता था, मगर हालात यह है कि उनके परिसर में किराए से चलने वाली एजेंसी मेडिकल कॉलेज व एमवाय प्रशासन पर भारी है।
राजधानी तक पकड़ है एजेंसी की
पिछला टेंडर एमजीएम ने अपनी तरफ से किया था। जिस पर कंपनी काम कर रही है। 30 दिसंबर 2020 में मप्र पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने प्रदेश के सभी 9 मेडिकल कॉलेजों के लिए निकाला था। टेंडर प्रक्रिया फरवरी तक चलना थी। मशीनें इंस्टॉल करके कंपनी को 1 अप्रैल से काम संभालना था। मतलब, कृष्णा का ठेका खत्म होने के दूसरे दिन से। बाद में यह टेंडर निरस्त कर दिया गया। यदि 31 मार्च 2022 तक का कृष्णा को मौका दिया भी गया था तो सरकार को दिसंबर में टेंडर कर देना थे, जो नहीं किए गए। इसका मतलब साफ है कि एमजीएम से लेकर पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पदाधिकारी भी कृष्णा से उपकृत हैं और उसी का ठेका बढ़ाने के पक्ष में हैं।
सीटी स्कैन-एमआरआई की दरें
रोज..एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई
मेडिकल कॉलेज से सम्बंधित एमवाय हॉस्पिटल सहित कैंसर, चेस्ट, चाचा नेहरू और सुपर स्पेशलिटी जैसे हॉस्पिटल हैं, जहां मरीजों की संख्या बड़ी तादाद में रहती है। एमवायएच के मरीजों की जांच से कंपनी को रोज 1 लाख रुपए से अधिक की कमाई होती है, जबकि बाहरी मरीजों की जांच से 2 लाख रुपए रोज की। बताया जा रहा है कि कंपनी के लिए लगभग 7.50 लाख रुपए महीने का किराया तय है।
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