
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र सरकार (Central government) से एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स (एएमसी) (Association of Medical Consultants (AMC)) की याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में भारतीय चिकित्सा प्रणाली (Indian medicine system) के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम, 2020 व होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम, 2020 की वैधता को चुनौती दी गई है। जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस सुधांशु दूलिया की पीठ ने केंद्र से जवाब मांगते हुए सुनवाई चार नवंबर तक स्थगित कर दी है।
मुंबई सहित पश्चिम भारत के करीब 11 हजार चिकित्सक एएमसी के सदस्य हैं। एएमसी ने याचिका में केंद्र को धारा 34 (प्रैक्टिशनरों के अधिकारों) में किए गए बदलावों को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है। साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सा में पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सकों को दी गई 58 तरह की सर्जिकल प्रक्रियाएं करने की अनुमित को भी रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि यह बदलाव संविधान के अनुच्छेद 14, 19 व 21 के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला है।
जिनको योग्यता नहीं, उनको भी मिली अनुमति
याचिकाकर्ता ने कहा कि यह निर्देश दो औषधीय उपचार पद्धतियों के व्यापक रूप से भिन्न सदियों पुराने मतभेदों और भेदों को मिटाने के प्रयास से भी व्यथित है। उनके मुताबिक, धारा 34 के तहत राज्यों में पंजीकृत उन चिकित्सकों को भी प्रैक्टिस जारी रखने की अनुमति दी गई, जो इस कानून के तहत चिकित्सकीय योग्यता नहीं रखते हैं।
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