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चीन से सर्वाधिक प्रभावित 82 देशों में पाकिस्तान शीर्ष पर, दूसरे नंबर पर सिंगापुर

इस्लामाबाद। चीन के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को मापने वाले एक अध्ययन में पता चला है कि पाकिस्तान दुनिया के 82 देशों में का ऐसा पहला देश है जो चीन से सर्वाधिक प्रभावित है। यह जानकारी रेडियो फ्री यूरोप और रेडियो लिबर्टी ने दी है। ताइवान स्थित अनुसंधान संगठन, डबलथिंक लैब्स द्वारा 8 दिसंबर को पुन: लॉन्च किए गए एक डाटाबेस चाइना इंडेक्स ने पाकिस्तान को दुनिया भर के 82 अन्य देशों की सूची में सबसे ऊपर रखा है।

कंबोडिया-सिंगापुर दूसरे स्थान पर
संगठन ने कहा है कि विदेश और घरेलू नीति तथा प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था के संबंध चीन पर निर्भरता इसे विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन पर निर्भरता के मामले में पाकिस्तान के बाद कंबोडिया और सिंगापुर दूसरे स्थान पर, जबकि थाईलैंड तीसरे नंबर पर है। सूचकांक में दक्षिण अफ्रीका और पेरू पांचवें स्थान पर हैं। फिलीपीन का स्थान सातवां है जबकि मलयेशिया 10वें स्थान पर है।

किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान सूचकांक में आठवें और नौवें स्थान पर हैं। ये दोनों देश चीन के शिंजियांग प्रांत के साथ सीमा साझा करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी 19वें स्थान पर सर्वोच्च रैंक वाला यूरोपीय देश है, जबकि अमेरिका 21वें स्थान पर है। चीन के सूचकांक को बनाते समय शोध दल ने दुनिया भर में प्रभाव की निगरानी के लिए नौ श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें उच्च शिक्षा, घरेलू राजनीति, आर्थिक संबंध, विदेश नीति, सैन्य सहयोग, मीडिया, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक संबंध शामिल हैं।


डाटाबेस का लक्ष्य जागरूकता फैलाना
डबलथिंक लैब्स के सह-संस्थापक और सीईओ मिन ह्वेन-वू ने रेडियो फ्री यूरोप से चर्चा में कहा कि चीन के प्रभाव के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए डाटाबेस बनाया गया है। वू ने कहा, इस डाटाबेस का एक प्रमुख लक्ष्य चीनी प्रभाव के विभिन्न पहलुओं के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि इससे चीन के दबाव लागू करने के विभिन्न तरीकों के बारे में काफी जानकारी मिल सकती है।

सीपीईसी है मुख्य वजह
सूचकांक में शीर्ष पर पाकिस्तान का रहने का पड़ा कारण देश में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का होना है। यह गलियारा बीजिंग की बेल्ट एंड रोड पहल का एक केंद्रबिंदु है, जिसमें पिछले 10 वर्षों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकास में चीनी संस्थाओं का वित्तपोषण शामिल है। इसके चलते पाक की चीन पर निर्भरता बहुत अधिक बढ़ गई है।

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