
मुंबई। पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) की ओर से आर्थिक विकास को गति प्रदान करने परिवर्तनकारी भूमिका स्वीकार करते हुए, एक ऐसे मंच पर विचार कर रहा है, जो सार्वजनिक निर्गम (IPO) में शेयर आवंटियों को औपचारिक सूचीबद्ध होने से पहले ही प्रतिभूति व्यापार करने की अनुमति दे सकता सकता है।
यानी लिस्टिंग से पहले शेयरों की ट्रेडिंग होने की अनुमति दी जा सकती है। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शेयर को आवंटित होने के तीन दिन से लेकर शेयरों का कारोबार शुरू होने तक उनमें निवेशकों की रुचि बनी रहती है। इसे देखते हुए यदि निवेशक ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो उन्हे उचित रूप से वैध रूप से यह अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
सेबी आईपीओ की सही कीमत निर्धारित करने पर नहीं बल्कि यह सुनिश्चत करने पर अधिक ध्यान रखता है कि निवेशकों को यह आकलन करने के लिए सही और जरूरी डेटा की पहुंच है या नहीं। हमें लगता है कि हम प्रत्येक आईपीओं के दस्तावेजों को इस तहर से परखते हैं कि अगर हम निवेशक हैं और दस्तावेज को पढ़ रहे हैं तो विशेषकर मूल्य निर्धारित वाले भाग में क्या पर्याप्त जानकारी है, जिससे निवेशकों को आकलन करने में मदद मिले। इसके अलावा कार्यक्रम में स्टार्टअप को आईपीओ की सफलता तक पहुंचाना, एसएमई आईपीओं में विकास के अवसर, वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भारत के आईपीओ ढांचे को बढ़ाना और आईपीओ की वैश्विक बेंचमार्किंग और पूंजी बाजारों के भविष्य को आकार देने जैसे विषयों पर विचार किया जाता है।
जानकारों की राय
बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि यह सेबी अध्यक्ष का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब प्राथमिक बाजार में आईपीओ की संख्या के साथ संचय धन उगाही के मामले में रिकॉर्ड उछाल देखने को मिल रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 2024 में आईपीओ की संख्या के मामले में एशिया में सबसे आगे है और इसमें इस बाजार से जुटाई गई इक्विटी के मामले में रिकॉर्ड भी बनाया है। बाजार के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2025 में करीब 1.80 लाख करोड़ रुपये के सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ पहले से ही सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि सेबी का यह फैसला बाजार में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और निवेशक के निवेश सुरक्षा पर भी ध्यान देगा। पिछले कुछ सालों में आईपीओं की संख्या में जिस प्रकार से तेजी आई है, उसे देखते हुए सेबी ने अपना रुख साफी किया है, जिसकी बाजार को उम्मीद थी, क्योंकि सेबी का लक्ष्य निवेशकों को बाजार के नियमानुसार चलने और उचित निर्णय लेकर सशक्त बनाना है।
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