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नासा के रोवर की खोज : पृथ्वी अकेली नहीं, मंगल ग्रह पर भी था जीवन?

September 11, 2025

वाशिंगटन। लाल ग्रह मंगल (Red planet Mars) पर जीवन की खोज लंबे समय से वैज्ञानिकों (Scientists) का सपना रही है। अब, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवरेंस रोवर (US space agency NASA) ने एक ऐसी खोज की है जो इस सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है। रोवर द्वारा एकत्रित एक चट्टान के नमूने में प्राचीन सूक्ष्मजीवों के संभावित जीवाश्म या जैविक संकेत मिले हैं, जो मंगल पर अरबों वर्ष पुराने जीवन की ओर इशारा करते हैं। अगर ये खोज सही साबित हो जाती है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि पृथ्वी अकेली नहीं है जहां जीवन है। हालांकि, वैज्ञानिक स्पष्ट करते हैं कि यह अभी पुष्टि नहीं हुई है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ‘पर्सिवरेंस’ द्वारा वहां एकत्र किए गए नमूनों का पृथ्वी की प्रयोगशालाओं में गहन विश्लेषण जरूरी है।



नासा के वैज्ञानिकों ने बुधवार को इस खोज की घोषणा की, जो पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक शोध पत्र पर आधारित है। यह खोज मंगल के जीवन की तलाश में अब तक की सबसे मजबूत संभावना मानी जा रही है। नासा की साइंस मिशन डायरेक्टोरेट की एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर निक्की फॉक्स ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह हमारे अविश्वसनीय पर्सिवरेंस रोवर की खोज है, जो मंगल पर प्राचीन जीवन की खोज के सबसे करीब पहुंच गई है।”

वर्ष 2021 से मंगल ग्रह पर घूम रहा यह रोवर सीधे तौर पर जीवन का पता नहीं लगा सकता। इसके बजाय, यह चट्टानों और नलियों में छेद करने के लिए एक ड्रिल लेकर चलता है ताकि अरबों साल पहले जीवन के लिए सबसे उपयुक्त माने गए स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों को रखा जा सके। नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाने की प्रतीक्षा है। यह एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो नासा द्वारा सस्ते, त्वरित विकल्पों की तलाश के कारण रोक दी गई है।

दो वैज्ञानिकों एसईटीआई संस्थान के जेनिस बिशप और मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय के मारियो पेरेंटे ने इसे एक “रोमांचक खोज” बताते हुए कहा कि इसके लिए गैर-जैविक प्रक्रियाएं जिम्मेदार हो सकती हैं। स्टोनी ब्रुक विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता जोएल ह्यूरोविट्ज़ ने कहा, “यही कारण है कि हम यह नहीं कह सकते कि यह जीवन का सकारात्मक प्रमाण है।”

‘चेयावा फॉल्स’ चट्टान और उसके रहस्यमयी धब्बे

यह खोज तब हुई, जब पर्सिवरेंस रोवर मंगल के जेरो क्रेटर में एक प्राचीन सूखी नदी घाटी का पता लगा रहा था। क्रेटर मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में स्थित है, यह कभी एक विशाल झील था जहां नदियां बहती थीं। रोवर ने यहां एक लाल रंग की चट्टान को पाया, जिसका नाम ‘चेयावा फॉल्स’ रखा गया। इस चट्टान पर अनियमित ‘तेंदुए के धब्बे’ और छोटे-छोटे ‘पॉपी सीड्स’ जैसे निशान दिखाई दिए, जो मिलीमीटर आकार के हैं। रोवर के ऑनबोर्ड उपकरणों – जैसे SHERLOC और PIXL ने इन निशानों का विश्लेषण किया। परिणाम चौंकाने वाले थे: चट्टान में कार्बनिक कार्बन (जीवन का मूलभूत ब्लॉक), आयरन फॉस्फेट और आयरन सल्फाइड से भरपूर खनिज पाए गए।

पृथ्वी पर, ये रासायनिक यौगिक तब बनते हैं जब सूक्ष्मजीव जैविक पदार्थों को तोड़ते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये धब्बे प्राचीन माइक्रोबियल गतिविधियों के उप-उत्पाद हो सकते हैं, जो अरबों वर्ष पहले मंगल के गर्म और नम वातावरण में फले-फूले होंगे। जब हम पृथ्वी पर ऐसी विशेषताओं को देखते हैं, तो ये अक्सर सूक्ष्मजीवों के चयापचय का परिणाम होते हैं जो जैविक पदार्थों का सेवन करते हैं। यह चट्टान मंगल पर जीवन की संभावना के लिए सबसे आकर्षक उम्मीदवार है।

मंगल की सतह पर जीवन की तलाश

पर्सिवरेंस रोवर फरवरी 2021 में जेरो क्रेटर में उतरा था। इसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन जीवन के संकेत ढूंढना और नमूने इकट्ठा करना है। रोवर ने अब तक 30 से अधिक नमूने एकत्र किए हैं, जो टाइटेनियम ट्यूबों में बंद हैं। ये नमूने पृथ्वी पर लौटाए जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन नासा का सैंपल रिटर्न मिशन अभी अनिश्चित है। वाइट हाउस के बजट कटौती प्रस्ताव के कारण, एजेंसी सस्ते और तेज विकल्प तलाश रही है। रोवर ने जेरो क्रेटर की खोज में ‘ब्राइट एंजेल’ नामक संरचना का अध्ययन किया, जो नेरेटवा वैली की एक प्राचीन नदी घाटी है। यहां पानी की मौजूदगी के प्रमाण मिले, जो जीवन के लिए आदर्श वातावरण दर्शाते हैं। रोवर के उपकरणों ने मौसम की जानकारी भी एकत्र की है, जो भविष्य के मानव मिशनों के लिए उपयोगी होगी।

क्या मंगल पर कभी जीवन था?

यह खोज मंगल की इतिहास को फिर से लिख सकती है। पहले माना जाता था कि जीवन के संकेत पुरानी चट्टानों तक सीमित हैं, लेकिन यह नई खोज सुझाव देती है कि मंगल रहने योग्य लंबे समय तक रहा हो सकता है। जेरो क्रेटर में मिले ये प्रमाण अन्य रोवर्स की तुलना में अधिक विश्वसनीय हैं, क्योंकि ये रेडॉक्स प्रतिक्रियाओं के संकेत देते हैं – जो जीवन से जुड़ी रासायनिक प्रक्रियाएं हैं। वैज्ञानिक समुदाय CoLD स्केल और स्टैंडर्ड्स ऑफ एविडेंस जैसे उपकरणों से इन आंकड़ों का मूल्यांकन कर रहा है।

“क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं?” यह सवाल अब और करीब आ गया है। लेकिन नासा स्पष्ट करता है: यह ‘संभावित बायोसिग्नेचर’ है, न कि जीवन का प्रत्यक्ष प्रमाण। पिछली खोजें, जैसे 1984 में एंटार्कटिका में मिला मंगल का उल्कापिंड, विवादास्पद रहीं। लेकिन रोवर की यह खोज अधिक ठोस है, क्योंकि यह रोवर के आधुनिक उपकरणों पर आधारित है।

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