
नई दिल्ली । रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation)के साथ साझेदारी कर भारत के स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी(Indigenous fifth generation) के स्टील्थ फाइटर जेट (stealth fighter jet)यानी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के डिजाइन और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट के लिए सात प्रमुख भारतीय कंपनियों ने बोली लगाई है। इनमें लार्सन एंड टुब्रो, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, और अडानी डिफेंस जैसी कंपनियां शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इन बोलियों का मूल्यांकन पूर्व ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्रमुख ए. शिवथानु पिल्लई की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा किया जाएगा। समिति अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपेगी, जो अंतिम चयन करेगा।
दो कंपनियों को मिलेगा 15,000 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सात कंपनियों में से दो को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा, जिन्हें AMCA के पांच प्रोटोटाइप मॉडल विकसित करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दिया जाएगा। इन मॉडलों को उच्चतम मानकों के अनुसार तैयार किया जाएगा, जिसके बाद उत्पादन अधिकार प्रदान किए जाएंगे। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपये है और यह 125 से अधिक फाइटर जेट्स का निर्माण करेगी। हालांकि, AMCA को भारतीय वायुसेना में शामिल होने में 2035 तक का समय लग सकता है।
AMCA क्या है?
AMCA भारत का पहला पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट होगा, जो सिंगल-सीट, ट्विन-इंजन वाला स्टील्थ विमान होगा। इसमें उन्नत स्टील्थ कोटिंग्स और आंतरिक हथियार बे होंगे, जो अमेरिका के F-22, F-35 और रूस के Su-57 जैसे विमानों की तरह होंगे। इसकी परिचालन ऊंचाई 55,000 फीट होगी और यह 1,500 किलोग्राम हथियार आंतरिक बे में और 5,500 किलोग्राम अतिरिक्त हथियार बाहरी रूप से ले जा सकेगा। इसके अलावा, यह 6,500 किलोग्राम ईंधन ले जाने में सक्षम होगा।
AMCA के दो संस्करण होने की उम्मीद है। पहला संस्करण अमेरिकी GE F414 इंजन का उपयोग करेगा, जबकि दूसरा संस्करण स्वदेशी रूप से विकसित और संभवतः अधिक शक्तिशाली इंजन से लैस होगा। कुल मिलाकर, यह एक सुपरमैन्यूवरेबल और स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट होगा।
पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट क्या है?
पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट की कोई एक परिभाषा नहीं है, लेकिन ये 21वीं सदी की शुरुआत में विकसित प्रमुख तकनीकों को शामिल करते हैं और वर्तमान में सबसे उन्नत फाइटर जेट्स हैं। इनमें उन्नत युद्धक्षेत्र सॉफ्टवेयर का उपयोग होता है, जो पायलट को युद्धक्षेत्र और दुश्मन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इनमें लेटेस्ट एवियोनिक्स, नेटवर्किंग क्षमता, और बेहतर नियंत्रण, कमांड और संचार (C3) सुविधाएं होती हैं, जो युद्ध में बढ़त प्रदान करती हैं।
भारत की AMCA परियोजना के पीछे का मकसद
AMCA परियोजना भारत के सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान और चीन के साथ सैन्य तनाव के बाद, भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है। इसके तहत हथियारों और उपकरणों का अपग्रेडेशन किया जा रहा है। अप्रैल में, भारत ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन से 26 राफेल-M (मरीन वेरिएंट) फाइटर जेट्स खरीदने के लिए 63,000 करोड़ रुपये का सौदा किया, जो 2031 तक डिलीवर होंगे। ये जेट पुराने रूसी मिग-29K की जगह लेंगे। वायुसेना पहले से ही 36 राफेल-C फाइटर जेट्स संचालित कर रही है।
पिछले एक दशक में, भारत ने स्वदेशी विमानवाहक पोत, युद्धपोत, पनडुब्बियां, और लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण भी किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2033 तक कम से कम 100 अरब डॉलर के स्वदेशी सैन्य हार्डवेयर कॉन्ट्रैक्ट का वादा किया है, ताकि भारत में हथियारों का उत्पादन बढ़े और निर्यात से राजस्व में वृद्धि हो।
AMCA के शामिल होने के बाद, भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स हैं। मई 2025 तक, केवल अमेरिका (F-22 और F-35), चीन (J-20), और रूस (Su-57) के पास ही ऐसे जेट्स हैं। AMCA परियोजना न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा देगी।
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