
नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने कहा कि सैन्य कार्रवाई का विस्तार करके जंग छेड़ना (To escalate Military Action and start War) ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य नहीं था (Operation Sindoor was not Intended) । विजयादशमी के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सेना के जवानों के बीच भुज एयरबेस पर शस्त्र पूजा की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान ने सर क्रीक इलाके में कोई भी हिमाकत की तो उसे ऐसा करारा जबाव मिलेगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे। उन्होंने कहा कि 1965 की जंग में भारत की सेना ने लाहौर तक पहुंचने का सामर्थ्य दिखाया था। आज 2025 में पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची का एक रास्ता क्रीक से होकर गुजरता है। रक्षा मंत्री ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने लेह से लेकर सर क्रीक के इस इलाके तक भारत के डिफेंस सिस्टम को भेदने की नाकाम कोशिश की, जबकि भारत की सेनाओं ने अपनी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह एक्सपोज कर दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आजादी के 78 साल बीत जाने के बावजूद सर क्रीक इलाके में सीमा को लेकर एक विवाद खड़ा किया जाता है। भारत ने कई बार बातचीत के रास्ते इसका समाधान करने का प्रयास किया है, मगर पाकिस्तान की नीयत में ही खोट है, उसकी नीयत साफ नहीं है। जिस तरह से हाल में पाकिस्तान की फौज ने सर क्रीक से सटे इलाकों में अपना मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है, वह उसकी नीयत बताता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की सीमाओं की रक्षा भारतीय सेनाएं और बीएसएफ मिलकर मुस्तैदी से कर रही हैं। अगर सर क्रीक इलाके में पाकिस्तान की ओर से कोई भी हिमाकत की गई तो उसे ऐसा करारा जवाब मिलेगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे। पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची का एक रास्ता क्रीक से होकर गुजरता है।
गुरुवार को विजयादशमी के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सेना के जवानों के बीच भुज एयरबेस पर मौजूद रहे। यहां उन्होंने शस्त्र पूजा की। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दुनिया को यह संदेश दे दिया गया है कि भारत की सेनाएं जब चाहें, जहां चाहें और जैसे भी चाहें पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि अपने सामर्थ्य के बावजूद हमने संयम का परिचय दिया, क्योंकि हमारी सैन्य कार्रवाई आतंकवाद के विरोध में थी। इसका विस्तार करके जंग छेड़ना ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य नहीं था। उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की खुशी है कि भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के सभी सैन्य लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया है। मगर आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है।”
गांधी जयंती पर महात्मा गांधी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा, “जब मैं मनोबल की बात कर रहा हूं, तो स्वाभाविक रूप से हम सबका ध्यान महात्मा गांधी जी की ओर भी जाता है। वह तो अपने आप में मनोबल के ज्वलंत उदाहरण थे। उनके पास दुश्मन से लड़ने के लिए सिवाय मन की शक्ति के अतिरिक्त और कोई भी हथियार नहीं था, इसके बावजूद, उन्होंने उस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य को घुटनों पर ला दिया। फिर हमारे सैनिकों के पास तो शस्त्र भी हैं और मनोबल भी है, हमारे सामने तो कोई चुनौती टिक ही नहीं सकती।”
रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं शस्त्र पूजा के इस अवसर पर, मां दुर्गा से यही प्रार्थना करता हूं, कि वह हमारे शस्त्रों को सदैव धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित करें। हमारे सैनिकों को असीम शक्ति और साहस प्रदान करें, ताकि वो इसी तरह अधर्म और आसुरि शक्तियों के नाश के लिए काम करते रहें, और इस राष्ट्र को अजेय और अभेद्य बनाए रखें। थल सेना, वायु सेना और नौसेना, ये तीनों ही सेवाएं हमारी शक्ति के तीन स्तंभ हैं। जब ये तीनों सेवाएं मिलकर कार्य करती हैं, तभी हम हर चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना कर सकते हैं। हमारी सरकार लगातार अपनी सेनाओं की संयुक्तता पर जोर दे रही है। मैं आज इस अवसर पर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर अपने वीर जवानों और अधिकारियों को भी विशेष बधाई देना चाहता हूं।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि धर्म की स्थापना करने के लिए, धर्म की रक्षा करने के लिए केवल संकल्प ही पर्याप्त नहीं है। संकल्प के साथ-साथ शक्ति भी आवश्यक है। और वह शक्ति शस्त्र के माध्यम से प्रकट होती है। इसलिए हमारे यहां शस्त्रों की पूजा को भी उतना ही महत्व दिया गया है। शस्त्रों का सम्मान करने का एक अर्थ अपने सैनिकों का सम्मान करना भी है, जो उन्हें धारण करते हैं।
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