
पुणे. महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री ( Deputy CM) अजित पवार ( Ajit Pawar) के बेटे पार्थ (son Parth) से जुड़ी एक फर्म के खिलाफ 300 करोड़ रुपये (300 crore rupees) के पुणे भूमि सौदे में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं और गुरुवार को इसको लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है, जिसके बाद सरकार ने मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं. साथ ही इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे ‘प्रथम दृष्टया गंभीर’ बताते हुए संबंधित विभागों से जानकारी मांगी है, जबकि अजित पवार ने खुद को इस सौदे से पूरी तरह अलग बताया है.
इस मामले में कार्रवाई करते हुए सरकार ने एक सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया है और भूमि सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खर्गे जांच पैनल का नेतृत्व करेंगे. पुणे के हावेली नं. 4 कार्यालय से जुड़े सब-रजिस्ट्रार आर बी तारू को दस्तावेज पंजीकरण में अनियमितताओं और खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. आदेश में कहा गया है कि ये कार्रवाई संयुक्त जिला रजिस्ट्रार एवं कलेक्टर (स्टाम्प) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर आधारित है.
40 एकड़ जमीन 300 करोड़ में बेची
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 40 एकड़ ‘महार वतन’ सरकारी भूमि को अमादिया इंटरप्राइजेज एलएलपी नामक निजी कंपनी को 300 करोड़ रुपये में बेचा गया, जिसमें स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई. कंपनी के पार्टनर दिग्विजय अमर सिंह पाटिल हैं और पर्थ पवार भी इसमें पार्टनर हैं.
अधिकारी ने बताया कि ये जमीन शीतल तेजवानी नाम के व्यक्ति के ज़रिए बेची गई थी. इस संपत्ति पर कुल 272 नाम थे और तेजवानी के पास इस संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी था. सरकारी जमीन होने के कारण, इस प्लॉट को किसी निजी कंपनी को नहीं बेचा जा सकता.
जिला रजिस्ट्रार ने दर्ज कराई शिकायत
इस मामले में संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने ने बावधान पुलिस स्टेशन में दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और रविंद्र तारू के खिलाफ सरकार को कथित रूप से 6 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 316 (5) (सार्वजनिक सेवक द्वारा विश्वासघात) और 318 (2) (धोखाधड़ी) के तहत हैं एफआईआर दर्ज की गई है.
शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने कथित तौर पर जानबूझकर जमीन का विक्रय पत्र तैयार किया, जबकि उन्हें पता था कि ये जमीन सरकारी है. शिकायत में आगे कहा गया है कि हिंगाने के कार्यालय ने 9 मई को एक लिखित सूचना जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि 5.89 करोड़ रुपये का स्टाम्प शुल्क देय है और सक्षम प्राधिकारी की अनुमति जरूरी है, फिर भी स्टाम्प ड्यूटी लिए बिना ही विलेख तैयार कर दिया गया.
पंजीयन महानिरीक्षक रविंद्र बिनवाडे ने कहा कि समिति ये पता लगाएगी कि सरकारी जमीन निजी कंपनी को कैसे बेची गई और छूट नियमों के अनुसार दी गई या नहीं. उन्होंने कहा, ‘अगर ये सरकारी भूमि है, तो पंजीयन (बिक्री) नहीं होना चाहिए था.’ राजस्व विभाग के सूत्रों ने दावा किया कि ‘7/12 एक्सट्रैक्ट’ (एक प्रमुख स्वामित्व दस्तावेज) में जमीन ‘मुंबई सरकार’ के नाम पर है, लेकिन संपत्ति कार्ड में 272 लोगों के नाम थे.
अमादिया इंटरप्राइजेज एलएलपी पुणे के यशवंत घाडगे नगर में पवार परिवार के बंगले के पते पर पंजीकृत है. आईजीआर के आदेश में कहा गया कि उप-पंजीयक को सक्षम प्राधिकारी से एनओसी के बाद ही दस्तावेज पंजीकृत करने चाहिए थे, लेकिन यहां बिना एनओसी के काम किया गया. दस्तावेज मात्र 500 रुपये स्टांप ड्यूटी पर पंजीकृत हुआ, छूट का लाभ लिया गया. हालांकि छूट, मिल सकती है. लेकिन 2 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क- 1 प्रतिशत स्थानीय निकाय सेस और 1 प्रतिशत मेट्रो सेस- कुल 6 करोड़ रुपये माफ नहीं किए जा सकते, जिससे राज्य को नुकसान हुआ.
‘तहसीलदार सस्पेंड’
जिला कलेक्ट्रेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तहसीलदार स्तर के अधिकारी सूर्यकांत येवाले को गुरुवार को एक अन्य मामले में निलंबित कर दिया गया. साथ ही वह वर्तमान जमीन सौदे में जांच के दायरे में हैं.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने येवले के खिलाफ ‘महार वतन’ भूमि को निजी व्यक्तियों के नाम ट्रांसफर करने की जांच शुरू की है, जिसके बाद इसे अमादिया एलएलपी को बेचा दिया. समझौते में 272 व्यक्ति शीतल तेजवानी की पावर ऑफ अटॉर्नी से भूमि बेची गई. उधर, नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया मामला गंभीर लग रहा है. मैंने संबंधित विभागों से मामले के बारे में जानकारी मांगी है. जांच के आदेश दे दिए गए हैं.’
‘पूरे मामले से मेरा लेना-देना नहीं’
अजित पवार ने खुद को इस मामले से अलग करते हुए कहा, ‘मेरा इस पूरे मामले से कोई लेना-देना नहीं है. मैं इससे दूर हूं, मुख्यमंत्री को जांच करानी चाहिए, ये उनका अधिकार है.’
उपमुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘तीन-चार महीने पहले मैंने सुना था कि कुछ ऐसी चीजें चल रही हैं. मैंने तब साफ तौर पर कहा था कि मैं ऐसी कोई भी गलत हरकत बर्दाश्त नहीं करूंगा. मैंने स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि किसी को भी ऐसी गलत चीजें नहीं करनी चाहिए. मुझे नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ. बच्चे बड़े होते हैं तो अपना कारोबार करते हैं. मैंने कभी रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारियों को निर्देश नहीं दिए.’ पुणे में कंपनी के पंजीकृत पते के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि बंगले का मालिकाना हक पार्थ अजित पवार के पास है.
‘किसी को बख्शा नहीं जाएगा’
राज्य भाजपा मंत्री नितेश राणे ने कहा, ‘भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस सीएम फडणवीस की शैली है. कोई बख्शा नहीं जाएगा.’ उद्योग मंत्री उदय सामंत ने पार्थ पवार का बचाव करते हुए कहा कि उनके दस्तावेज ठीक हैं. सभी आरोपों का जवाब देंगे. उनके विभाग का प्रोत्साहन और छूट से कोई लेना-देना नहीं. भूमि सरकारी है या नहीं, यह जांचा जाएगा.
विपक्ष का बीजेपी पर हमला
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने न्यायिक जांच की मांग की और आरोप लगाया कि सौदे से संबंधित फाइल बहुत तेज गति से आगे बढ़ी. कुछ घंटों में उद्योग निदेशालय ने आईटी पार्क और डेटा सेंटर के लिए भूमि ट्रांसफर मंजूर कर 21 करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी माफ कर दी.
वहीं, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने लातूर में कहा कि जांच से कुछ भी ठोस नहीं निकलेगा और सरकार अंततः इसमें शामिल लोगों को क्लीन चिट दे देगी.
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