
इन्दौर। कुछ दिन पहले ही दिवाली मनाई थी…घर बच जाएंगे, इस उम्मीद के बीच घरों को सजाया और आखरी बार वंदनवार से लेकर रंगोली बनाई। अब वहां मकान के नामोनिशान नहीं है, सिर्फ मलबा दिख रहा है, जो हटाया जा रहा है। पड़ोसियों के आंगन में तोड़े गए घरों का हटाया गया सामान पड़ा है और कुछ लोग रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं। इनमें से 37 लोग ऐसे हैं, जो 20-20 हजार रुपए की व्यवस्था में जुटे हुए हैं, क्योंकि यह राशि फ्लैट लेने के लिए जमा करनी होगी और उसके बाद ही फ्लैट मिल सकेंगे।
पालिका प्लाजा में नगर निगम के कई दफ्तर लगते हैं और इनमें से एक प्रधानमंत्री आवास योजना का दफ्तर भी है, जहां रोज बड़ी संख्या में ऐसे ही परेशान लोगों का आना-जाना लगा रहता है। पिछले तीन दिनों से बड़ी संख्या में वहां मालवीय नगर गली नंबर 2 के कई लोग पहुंच रहे हैं और जैसे-तैसे इक_ा की गई बीस हजार रुपए की राशि जमा करके रसीद ले रहे हैं और इन रसीद के आधार पर ही उन्हें सनावादिया में बनाई गई पीएम आवास की मल्टियों में फ्लैट मिल पाएंगे। कई परिवार तो अभी भी सामान रखने के लिए किराए का मकान ढूंढ रहे हैं, वहीं कुछ लोग घर टूटने के बाद अब पैसों के इंतजाम में लगे हैं। 30 परिवारों के अलावा सात अन्य ऐसे लोग भी हैं, जिनके मकान के सिर्फ तीन से पांच फीट के हिस्से ही बचे हैं, उन्हें भी फ्लैट दिए जा रहे हैं। अफसरों का कहना है कि 15 लोगों ने पैसे जमा कर दिए हैं और उन्हें प्लैट आवंटित भी किया जा चुके हैं। शेष बचे लोग पैसों की जुगाड़ कर जैसे-तैसे वहां पहुंच कर रसीद बनवा रहे हैं।
12 लाख का फ्लैट 2 लाख में… दस्तावेज भी मांगे
निगम के अफसरों का कहना है कि 12 लाख के फ्लैट सिर्फ 2 लाख में दिए जा रहे हैं और उसके साथ ही उन सभी मकानों के दस्तावेज भी लिए जा रहे हैं, जो तोड़े गए हैं, लेकिन कई लोगों की मुसीबत यह है कि घर इतने पुराने हैं कि उनके पास में अपने मकानों के दस्तावेज नहीं हैं। ऐसे में फ्लैट देने में भी निगम द्वारा आनाकानी की जा रही है। इन लोगों का कहना है कि जिस फ्लैट को 12 लाख रु. का बताया जा रहा है, उसकी कीमत भी उतनी नहीं है। इसके बावजूद हमें 2 लाख रु. भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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