
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को निठारी हत्याकांड (Nithari massacre) के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली (Main accused Surendra Koli) को अंतिम लंबित मामले में भी बरी कर दिया। इस फैसले के साथ ही कोली के खिलाफ सभी मामले समाप्त हो गए हैं और अदालत ने उनकी तत्काल रिहाई का आदेश जारी किया है। यह फैसला 2006 के उस भयावह निठारी हत्याकांड के 19 साल पुराने अध्याय को पूरी तरह समाप्त करता है, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सभी आरोपों से बरी किया जाता है। उसे तुरंत रिहा किया जाए।
पीठ ने कोली की क्योरेटिव याचिका पर सुनवाई करते हुए 2011 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने कहा कि अन्य सभी मामलों में कोली को पहले ही बरी कर दिया गया है, और इस अंतिम मामले में भी साक्ष्य अपर्याप्त तथा जांच में गंभीर खामियां हैं। पीठ ने टिप्पणी की यह न्याय का मजाक होगा यदि एक ही तरह के साक्ष्यों पर अलग-अलग फैसले दिए जाएं। कोली को अब जेल से रिहा करने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि उसके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
केवल बयान और चाकू की बरामदगी पर आधारित थी सजा
7 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि कोली की सजा केवल उसके बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित थी। अदालत ने यह भी कहा था कि चूंकि कोली को बाकी 12 मामलों में बरी कर दिया गया है, इसलिए यह स्थिति विसंगतिपूर्ण प्रतीत होती है।
निठारी कांड से हिली थी देश की अंतरात्मा
यह मामला 2006 में तब सुर्खियों में आया जब नोएडा के निठारी गांव में मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के बाहर एक नाले से बच्चों और युवतियों के कंकाल बरामद हुए। जांच में सामने आया कि मोनींदर सिंह पंधेर उस घर का मालिक था जहां से शव बरामद हुए, जबकि सुरेंद्र कोली उसका घरेलू नौकर था। सुरेंद्र कोली पर इन हत्याओं, बलात्कार, नरभक्षण और अन्य अमानवीय कृत्यों का आरोप लगा। कुल 16 मामलों में कोली को मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि पंधेर को दो मामलों में दोषी ठहराया गया। लेकिन 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी मामलों में दोनों को बरी कर दिया। कोर्ट ने जांच एजेंसियों (यूपी पुलिस और सीबीआई) की लापरवाहीपूर्ण जांच को कटघरे में खड़ा किया।
सीबीआई जांच और कई मुकदमे
मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने कोली और पंधेर के खिलाफ कई अलग-अलग मामलों में आरोपपत्र दायर किए। कोली पर हत्या, अपहरण, दुष्कर्म और सबूत नष्ट करने जैसे गंभीर आरोप लगे, जबकि पंधेर पर एक मामले में अवैध मानव तस्करी से संबंधित आरोप लगाए गए।
2009 में सजा, 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी
2009 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 15 वर्षीय लड़की की हत्या और दुष्कर्म के मामले में कोली को दोषी ठहराया और पंधेर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कोली ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 2011 में उसकी अपील खारिज कर दी गई। 2014 में उसकी पुनर्विचार याचिका भी अस्वीकृत हो गई थी। हालांकि, 2015 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया, यह कहते हुए कि उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में अनुचित विलंब हुआ।
2023 में सभी मामलों में बरी, अब पूरी तरह आजाद
अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निठारी कांड से जुड़े 12 मामलों में कोली और 2 मामलों में पंधेर को बरी कर दिया। इसके बाद सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने 14 अपीलें सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कीं, लेकिन शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई 2025 को सभी अपीलें खारिज कर दीं। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को 15 वर्षीय लड़की की हत्या वाले अंतिम मामले में भी कोली को बरी किए जाने के बाद, वह पूरी तरह से आजाद व्यक्ति बन गया है।
निठारी कांड: एक नजर में
समय: 2005-2006
स्थान: निठारी गांव, नोएडा
मुख्य आरोपी: मोनींदर सिंह पंधेर (घर मालिक), सुरेंद्र कोली (नौकर)
जांच एजेंसी: सीबीआई
आरोप: हत्या, दुष्कर्म, अपहरण, सबूत नष्ट करना
परिणाम: सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों में कोली को बरी किया
इस ऐतिहासिक फैसले के साथ करीब दो दशकों से चल रहे निठारी कांड के कानूनी अध्याय का अंत हो गया है।
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