
श्रीनगर। जब 19 अक्टूबर की रात श्रीनगर (Srinagar) के नवगाम-बुनपोरा इलाके (Nowgam-Bunpora area) में अचानक जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के पोस्टर चिपकाए गए तो ज्यादातर स्थानीय लोगों ने इसे कश्मीर के पुराने उथल-पुथल भरे दौर की एक और झलक समझकर अनदेखा कर दिया। लेकिन श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डॉ. जीवी सुंदर चक्रवर्ती के लिए यह सिर्फ दीवार पर लगे कुछ पोस्टर नहीं थे- यह किसी बड़ी साजिश का संकेत था। इन पोस्टरों में सुरक्षा बलों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी। एसएसपी चक्रवर्ती खुद एक डॉक्टर रह चुके हैं। उन्होंने उसी रात यूएपीए, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और आर्म्स एक्ट के तहत नवगाम थाने में मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
सीसीटीवी से खुली गुत्थी
पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज को फ्रेम दर फ्रेम खंगाला। वीडियो में तीन संदिग्ध व्यक्ति दिखे, जिन्हें बाद में हिरासत में लिया गया। पूछताछ में सामने आया एक नाम- मौलवी इरफान अहमद, जो 2020 से नवगाम मस्जिद में नमाज पढ़ा रहा था और शोपियां का रहने वाला है।
शोपियां से हरियाणा-यूपी तक फैला नेटवर्क
पुलिस टीमों ने तुरंत कार्रवाई की। मौलवी इरफान (Maulvi Irfan) के शोपियां स्थित घर और नवगाम में उसके ठिकाने पर तलाशी ली गई। उसके डिजिटल कम्युनिकेशन की जांच में ऐसे लिंक मिले जो जम्मू-कश्मीर से बाहर तक फैले थे यानी हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक। जांच के आधार पर पुलिस टीम ने फरीदाबाद में एक मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई को गिरफ्तार किया। वह पुलवामा का रहने वाला है और जैश नेटवर्क से जुड़ा पाया गया। जो जांच एक साधारण पोस्टर मामले के रूप में शुरू हुई थी, उसने जल्द ही वाइट-कॉलर यानी शिक्षित वर्ग के आतंकियों के एक संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया।
स्थानीय मददगार भी गिरफ्तार
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने नवगाम के तीन और स्थानीय निवासियों को भी गिरफ्तार किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक बेहद बारीकी से की गई फॉरवर्ड और बैकवर्ड इन्वेस्टिगेशन थी, जिसने पूरे नेटवर्क की कड़ी-दर-कड़ी पहचान की। जांच में यूपी और हरियाणा के डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई। आगे की पूछताछ में कई और लिंक सामने आए, जिनसे आईईडी बनाने की सामग्री समेत कई अहम बरामदगियां हुईं।
डॉ. चक्रवर्ती: डॉक्टर से आईपीएस तक का सफर
डॉ. जीवी सुंदर चक्रवर्ती, 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के कल्लूर में जन्मे, वे सरकारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीवी राम गोपाल राव और स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी पी.सी. रंगम्मा के पुत्र हैं। उन्होंने 2010 में कर्नूल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की और कुछ समय तक वहीं डॉक्टर के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईपीएस चुना।
जम्मू-कश्मीर में रहते हुए उन्होंने कई बड़े आतंकी अभियानों में नेतृत्व किया है। 14 अगस्त को उन्हें छठा राष्ट्रपति पुलिस पदक (गैलेंट्री) प्रदान किया गया। 21 अप्रैल 2025 को उन्होंने श्रीनगर के एसएसपी के रूप में कार्यभार संभाला।
पोस्टर केस: करियर की सबसे पेचीदा जांच
नवगाम पोस्टर प्रकरण अब डॉ. चक्रवर्ती के करियर की सबसे जटिल जांचों में से एक माना जा रहा है- जिसने मौलवी, डॉक्टर और मॉड्यूल्स के असामान्य गठजोड़ को उजागर किया। यह मामला इस बात का भी प्रमाण है कि आतंकवाद का चेहरा अब केवल बंदूक या बम से लैस नहीं है, बल्कि शिक्षा, पेशेवर पहचान और तकनीक के आड़ में छिपे सफेदपोश नेटवर्क के रूप में भी उभर रहा है और उसे मात देने के लिए ऐसे ही सजग अधिकारियों की जरूरत है, जो न सिर्फ कानून को जानते हों, बल्कि इंसानी व्यवहार की गहराई को भी समझते हों।
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