
इंदौर। कल महू वन विभाग की 2 रेस्क्यू ऑपरेशन की कार्रवाई के दौरान कभी खुशी कभी गम वाले सीन मतलब नजारे देखने को मिले। दोनों बार आंखे नम हो गईं। फर्क इतना था कि एक बार खुशी से आंखे तब छलक पड़ी, जब कल रेस्क्यू कर लाए गए 2 शावक कुछ दिनों पहले रेस्क्यू कर लाई गई अपनी मां मादा तेंदुआ को पहचान गए। दूसरी तरफ दुख तब हुआ, जब दोनों टूटे हुए पैर वाली नीलगाय का इलाज के दौरान एक पैर काटना पड़ा ।
वन विभाग इंदौर डीएफओ प्रदीप मिश्रा ने बताया कि महू फारेस्ट रेंज में कल 2 रेस्क्यू ऑपरेशन किए गए। मंगलवार को महू फॉरेस्ट रेंज की टीम को सूचना मिली थी कि कॉसमॉस कालोनी के पास नीलगाय कई घण्टों से पड़ी है। वह बार-बार उठने की कोशिश करती है। कल रेस्क्यू टीम के साथ वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और उसको वाहन में रखकर इलाज के लिए कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय (चिडिय़ाघर) भेजा गया। डाक्टर उत्तम यादव ने बताया कि इलाज के दौरान दोनों पैरों में से एक पैर काटना पड़ा। डीएफओ मिश्रा के अनुसार दूसरा मामला महू के पास हरसोला गांव के पास पहाड़ी इलाके का है।
इसी माह में कुछ दिनों पहले रेस्क्यू टीम ने जहां से तार के फंदे में फंसी एक मादा तेंदुए का रेस्क्यू किया था, उसी इलाके में तेंदुए के 2 शावकों के होने की सूचना मिली। तत्काल महू वन विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया।वहां पर मिले पंजों के निशान से यह साबित हो गया कि यहां पर 2 शावक तेंदुओ की मौजूदगी की सूचना सही है। इसके बाद टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कई घण्टों के बाद आखिरकार रेस्क्यू ऑपरेशन सफल रहा। दोनों शावकों के मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारियों को लगा कि कहीं यह कुछ दिनों पहले रेस्क्यू की गई मादा तेंदुए के शावक तो नहीं हैं। मगर इसके उनके पास कोई प्रमाण तो थे नहीं। इसके बाद दोनों शावकों को भी इंदौर कमल नेहरू प्राणी संग्रहालय लाया गया।
आज सुबह डाक्टर उत्तम यादव ने बताया कि यह दोनों शावक पहले से चिडिय़ाघर में मौजूद मादा तेंदुए के ही हैं। कुछ दिनों पहले महू से रेस्क्यू कर लाई इस मादा तेंदुए के पैर में फ्रैक्चर यानी चोट के चलते इलाज जारी है। कल नीलगाय से लेकर 2 शावक तेंदुए से सम्बंधित रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी रालामण्डल की रेस्क्यू टीम महू वन विभाग का अमला सुबह से शाम तक छुपाता रहा। महू के स्थानीय से लेकर इंदौर मीडिया से रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी देने में कतराते नजर आए।
अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भोपाल मुख्यालय से वन विभाग को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि मीडिया को कोई भी जानकारी देने के पहले एसडीओ, फारेस्ट रेंजर अथवा डिप्टी रेंजर सहित किसी भी अधिकारी को सीसीएफ और डीएफओ से अनुमति लेना पड़ेगी और इन दोनों अधिकारियों को भोपाल मुख्यालय से अनुमति लेना पड़ेगी। हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वन्यजीव के रेस्क्यू और उसे बेहोश करने के लिए भोपाल मुख्यालय से ही अनुमति लेते आए हैं। वन अधिकरियों के अनुसार वन्यजीवों के रेस्क्यू ऑपरेशन की मीडिया रिपोर्टिंग से शिकारी गिरोह वन्यजीवों की मौजूदगी की लोकेशन का अनुमान लगा लेते हैं।
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