
गैबोरोन । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने कहा कि अपने विकास अनुभव बोत्सवाना के साथ साझा करने के लिए (To Sharing its development experience with Botswana) भारत दृढ़तापूर्वक प्रतिबद्ध है (India is strongly Committed) ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गैबोरोन में बोत्सवाना की राष्ट्रीय सभा को संबोधित किया । राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और बोत्सवाना मिलकर एक अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ विश्व व्यवस्था में सार्थक योगदान दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अपनी युवा जनसांख्यिकी और विशाल प्राकृतिक संसाधनों के साथ, अफ्रीका वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को गति दे सकता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सभी क्षेत्रों में बोत्सवाना के साथ अपनी साझेदारी को और अधिक गहरा करने तथा अपने विकास अनुभव को बोत्सवाना के साथ साझा करने के लिए दृढ़तापूर्वक प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि अफ्रीका भविष्य का महाद्वीप है। अपनी युवा जनसांख्यिकी और विशाल प्राकृतिक संसाधनों के साथ, यह महाद्वीप वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को गति दे सकता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के रूप में हमें अपने लोगों के सपनों और आकांक्षाओं, खासकर अपने युवाओं की अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। वे ही भविष्य हैं और वे ही हमारे देशों की आगे की राह तय करेंगे।
बोत्सवाना की राष्ट्र-निर्माण यात्रा में एक प्रारंभिक भागीदार होना भारत के लिए सम्मान की बात है। हमारा सहयोग कई क्षेत्रों में फैला है: शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, कृषि, रक्षा, व्यापार और निवेश। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से बोत्सवाना के परिश्रमी लोगों और दूरदर्शी नेताओं ने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण किया है, जो शांति, स्थिरता और समावेशी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए सदैव तत्पर है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू छह दिवसीय अफ्रीकी देशों की यात्रा पर हैं। चार दिवसीय अंगोला यात्रा के बाद अब वे बोत्सवाना के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस क्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजधानी गैबोरोन स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक की। इस दौरान बोत्सवाना गणराज्य के राष्ट्रपति ड्यूमा गिदोन बोको ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर यह जानकारी दी।
इस बीच दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश, कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, रक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी सहित प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत भारत में चीता भेजने पर सहमति जताने के लिए राष्ट्रपति बोको और बोत्सवाना के लोगों का धन्यवाद किया।
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