
पटना. आजादी के बाद से लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के राजनीतिक अभ्युदय तक, बिहार में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस (Congress) बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 19 सीटों पर सिमटी थी। इस बार, बिहार चुनाव 2025 (Bihar elections) में वह छह सीटों पर आ चुकी है। 14 नवंबर को आए चुनाव परिणाम के बाद अब तक कांग्रेस हार की समीक्षा कर रही थी। अब एक तरफ पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं तो दूसरी तरफ नई सरकार को गिराने के लिए बिहार कांग्रेस के नेताओं को राहुल गांधी की ओर से ब्लू प्रिंट मिल गया है। क्या है यह ब्लू प्रिंट और कितना निशाने पर रह सकता है, यह समझना होगा।
पहले जानिए, चुनावी तैयारी के समय क्या थी कांग्रेस की योजना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम सामने आ चुका है। ‘अमर उजाला’ ने परिणाम आते ही बताया था कि महागठबंधन से आखिर चूक कहां हुई? अब यह जानिए कि बिहार चुनाव के लिए एक तरफ जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जहां आम लोगों के बीच अपनी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर रहा था और उसके फायदे पहुंचा रहा था; तब कांग्रेस इकलौते एजेंडे पर काम कर रही थी। कांग्रेस ने नीतीश कुमार या बिहार सरकार की जगह भारत निर्वाचन आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर रखा था। मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ सड़क पर उतर कर वह ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में ताकत झोंक रही थी। वोटरों ने अपना वोट कटने को लेकर मतदान के दौरान भी ऐसा हंगामा नहीं किया, जैसा कांग्रेस पूरे चुनाव प्रचार के समय करती रही।
अब जानिए, नई सरकार गठन के दिन कांग्रेसियों तक क्या योजना पहुंची
बिहार चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान धांधली का आरोप लगाते हुए जहां 21 नवंबर को बागियों का प्रदर्शन है, वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लोकसभा में विपक्ष के नेता ने एक बड़ी योजना पर काम करने का संदेश भेजा है। राहुल गांधी के ब्लू प्रिंट की जानकारी अब कांग्रेस सभी 38 जिलों में जिलाध्यक्षों को भेज रही है। कुछ जिलाध्यक्षों तक जानकारी पहुंच भी गई है। इन्हें कहा गया है कि वह हर विधानसभा में हुए चुनावी प्रक्रिया का आंकड़ा जुटाएं। सभी को हर बूथ के फॉर्म 17सी जुटाने का टास्क दिया गया है।
क्या-क्या होता है फॉर्म 17ग, यानी 17सी में; क्या है कांग्रेस की पूरी योजना
कांग्रेस की योजना है कि वह हर विधानसभा के सभी बूथों से फॉर्म 17सी को जुटाए और उसमें दर्ज हुई मतदान संख्या को जोड़कर देखे कि चुनाव आयोग ने जो परिणाम दिया है, उसके आंकड़े में अंतर है या नहीं। फॉर्म 17सी या 17ग एक ऐसा दस्तावेज है, जो सभी पीठासीन अधिकारियों को ईवीएम के साथ दिया जाता है। ईवीएम के साथ मतदान ड्यूटी के दौरान कई कागजात मिलते हैं, जो छह बड़े लिफाफों के अंदर होते हैं। उन लिफाफो में सबसे महत्वपूर्ण कागज फॉर्म 17ग है। इसमें कंट्रोल यूनिट (EVM), मतदान यूनिट (BU) और वीवीपैट (VVPAT) का सीरियल नंबर लिखा जाता है। मतदान की सुबह मॉक पोल और वोटिंग के समय मौजूद प्रत्याशियों के मतदान अभिकर्ता (Polling Agent) का हस्ताक्षर इसी पर कराया जाता है। पीठासीन पदाधिकारी का भी इसपर हस्ताक्षर होता है। जब वोटिंग प्रक्रिया पूरी होती है तो ईवीएम सील करने के पहले उसमें हुए अंतिम मतदान की संख्या नोट कर फॉर्म 17सी में दर्ज की जाती है। इसकी जानकारी पार्टियों के पोलिंग एजेंट के पास भी होती है।
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