
जोहान्सबर्ग । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि एआई का उपयोग वैश्विक अच्छाई के लिए हो (AI should be used for Global Wellness) ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपनी यात्रा के तीसरे दिन जी20 समिट के तीसरे सेशन को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे अवसर और संसाधन दोनों कुछ ही हाथों में केंद्रित हो रहे हैं। विश्व में क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर संघर्ष बढ़ रहा है। यह मानवता के लिए चिंता का विषय है ही। ये इनोवेशन के रास्ते में भी रुकावट है। इसके समाधान के लिए हमें अपनी सोच में मौलिक परिवर्तन लाना होगा।
उन्होंने कहा कि हमें ऐसे टेक्नोलॉजी एप्लीकेशंस को प्रमोट करना होगा जो ‘फाइनेंस सेंट्रिक’ होने के बजाय ‘ह्यूमन सेंट्रिक’ हों, जो ‘नेशनल’ के बजाय ‘ग्लोबल’ हों और जो ‘एक्सक्लूसिव मॉड्ल्स’ के बजाय ‘ओपन सोर्स’ हों। हमने इसी विजन को भारत के सभी टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट में एकीकृत करने का प्रयास किया है। इसी कारण आज भारत में दुनिया के सबसे अधिक डिजिटल पेमेंट्स हो रहे हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी से लेकर एआई तक, हर क्षेत्र में हमें सकारात्मकता और व्यापक भागीदारी देखने को मिलती है।
पीएम मोदी ने कहा कि एआई के क्षेत्र में भारत का अप्रोच तीन स्तंभों पर आधारित है: समान पहुंच, जनसंख्या-स्तरीय कौशल, और जिम्मेदार तैनाती। इंडिया-एआई मिशन के तहत हम सुलभ उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग बना रहे हैं, ताकि एआई का लाभ हर जिले और हर भाषा में पहुंचे। इससे मानव विकास के हमारे प्रयासों को स्केल और स्पीड मिलेगी, साथ ही हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का उपयोग वैश्विक अच्छाई के लिए हो और इसके गलत इस्तेमाल से बचा जाए। इसके लिए हमें एआई पर एक ग्लोबल कॉम्पैक्ट बनाना होगा जो कुछ मूल सिद्धांतों पर आधारित हो, जिनमें प्रभावी मानवीय निगरानी, डिजाइन द्वारा सुरक्षा, पारदर्शिता, और डीपफेक, क्राइम तथा आतंकी गतिविधियों में एआई के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध शामिल हों।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो एआई सिस्टम ह्यूमन लाइफ, सुरक्षा, या लोगों के विश्वास को प्रभावित करती है, उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए, और सबसे अहम है कि एआई मानव क्षमताओं को बढ़ाए, लेकिन निर्णय लेने की अंतिम जिम्मेदारी हमेशा मनुष्य के पास ही रहे। फरवरी 2026 में भारत एआइंपैक्ट समिट की मेजबानी करेगा, जिसका थीम है सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय। इसमें हम जी20 देशों को साझेदारी का आमंत्रण देते हैं। उन्होंने कहा कि एआई के इस युग में हमें अपनी अप्रोच को ‘आज की नौकरियां’ से ‘कल की क्षमताएं’ की ओर तेजी से चेंज करना होगा। रैपिड इनोवेशन के लिए टैलेंट की मोबिलिटी को अनलॉक करना अत्यंत आवश्यक है। इस विषय पर हमने दिल्ली जी20 में प्रगति की थी। हमें आशा है कि अगले कुछ वर्षों में जी20 एक प्रतिभा मोबिलिटी का वैश्विक ढांचा डेवलप करेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि कोविड काल ने ग्लोबल सप्लाई की कमजोरियां उजागर कर दीं। उस कठिन समय में भी भारत ने 150 से अधिक देशों को वैक्सीन और दवाइयां पहुंचाईं। देशों को केवल बाजार के तौर पर नहीं देखा जा सकता है। हमें एक संवेदनशील औरॉन्ग-टर्म अप्रोच अपनानी होगी। भारत का संदेश स्पष्ट है कि विकास ऐसा हो जो टिकाऊ हो, व्यापार ऐसा हो जो भरोसेमंद हो, वित्त ऐसा हो जो फेयर हो, और प्रगति ऐसी हो जिसमें सर्व-समावेशी समृद्धि हो। इसी सेहमक सभी के लिए एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भविष्य बना सकते हैं।
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