
भारी सिरफिरा विपक्ष (crazy opposition) है… मतदाता सूची (voter list) का पुनरीक्षण (review) हो जाएगा तो विपक्ष का क्या जाएगा… नाम कट जाएंगे… घुसपैठिए घर जाएंगे… मुर्दों के नाम हट जाएंगे… जो जहां हैं उनके नाम वहीं जुड़ जाएंगे तो विपक्षियों को आपत्ति किस बात की है… यह सफाई किसी एक दल के लिए नहीं देश के लिए हो रही है…यह कोशिश किसी को कमजोर बनाने के लिए नहीं, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए हो रही है… फिर विपक्षी इतना हंगामा क्यों मचा रहे हैं… इस पुनरीक्षण से तो तकलीफ उस व्यक्ति को हो सकती है, जो फर्जी वोटों से सत्ता में आता है… घुसपैठियों से मिलकर सरकार बनाता है… जो मरे हुए लोगों के नाम पर वोट डालकर चुनाव जीत जाता है… जो घर छोड़ चुके लोगों की फर्जी वोटिंग कर सत्ता पर कब्जा जमाता है… और यदि विपक्षी हंगामा मचा रहे हैं तो खुद चोर बनकर पूरे देश को दाढ़ी का तिनका दिखा रहे हैं… खुद ही कठघरे में खड़े आरोपी नजर आ रहे हैं… चुनाव आयोग पर इल्जाम लगाने वाले मूर्ख यही नहीं समझ पा रहे हैं कि पुनरीक्षण की प्रक्रिया इतनी पारदर्शी है कि सत्ता में बैठा व्यक्ति भी फर्जी नाम नहीं जुड़वा पाएगा… सरकार समर्थक नेता हो या कार्यकर्ता मुर्दों को जिंदा नहीं कर पाएगा… इनके नाम हटने या कटने से उन्हीं दलों को नुकसान होगा, जो फर्जी वोट करवाते हैं और फायदा तो उसी दल का होगा, जिसके पास फर्जी वोट डलवाने के लिए न तो कार्यकर्ता हैं और न ही पैसा, न ही ताकत और न ही हिमाकत… फिर विपक्षियों का गुर्राना…कांग्रेस का चिल्लाना… सरकार पर बात करने के लिए दबाव डालना…संसद के समय का भट्टा बैठाना साफ जाहिर करता है कि इसी बेवकूफ मानसिकता के चलते विरोधी विपक्ष में बैठे हैं…तकलीफ तो ममता बनर्जी को होना चाहिए, जो बांग्लादेशी घुसपैठियों को घुसाकर चुनाव जीत रही हैं और देश की अस्मिता को खतरे में डाल रही हैं… तकलीफ तो कश्मीर के हुक्मरानों को होना चाहिए, जो पाकपरस्तों को पाल रहे हैं और फर्जी वोटरों से सत्ता मेें आ रहे हैं और यदि उन पर लगाम लगती है तो देश की सुरक्षा महफूज रहती है… फर्जी वोटों के जरिए बनने वाली गद्दारों की सरकार पर नकेल लगती है…विपक्षी चाहे जितना चीखे-चिल्लाए वोट डालने का अधिकार रखने वाले देश के लोग लोकतंत्र की ढाल बनकर खड़े हो जाएं…वो दिल्ली गुंजाएं तो पूरे देश से आवाज आए, ताकि हकीकत दफन न होने पाए…
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