
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) को लेकर मोदी सरकार (Modi Goverment) पर जोरदार हमला बोला है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ट्वीट कर आरोप लगाया कि सरकार ने बिना जनसंवाद, बिना संसद में चर्चा और बिना राज्यों की सहमति के मनरेगा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं दोनों पर बुलडोजर चला दिया है। उन्होंने इसे विकास नहीं, बल्कि विनाश करार देते हुए कहा कि इसकी कीमत करोड़ों मेहनतकश भारतीयों को अपनी रोजी-रोटी गंवाकर चुकानी पड़ेगी।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के लेख का हवाला देते हुए लोगों से इसे पढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह लेख मनरेगा से जुड़े इस गंभीर मुद्दे के हर पहलू का पर्दाफाश करता है।
इससे पहले कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने 19 दिसंबर को विकसित भारत जी राम जी बिल को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला था। राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी सरकार ने 20 साल के मनरेगा को एक दिन में खत्म कर दिया। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने विकसित भारत जी राम जी विधेयक को बिना ठीक से जांच पड़ताल किए संसद से पारित करवा दिया। राहुल गांधी ने मनरेगा की जगह लाए गए नए विधेयक विकसित भारत जी राम जी को गांव विरोधी करार दिया।
राहुल गांधी ने कहा, ‘पीएम मोदी के लक्ष्य साफ हैं: मजदूरों को कमजोर करना, ग्रामीण भारत, खासकर दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की ताकत को कमजोर करना, सत्ता का केंद्रीकरण करना, और फिर नारों को सुधार के रूप में बेचना।’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मनरेगा दुनिया के सबसे सफल गरीबी उन्मूलन और सशक्तिकरण कार्यक्रमों में से एक था। हम इस सरकार को ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा पंक्ति को नष्ट नहीं करने देंगे। हम इस कदम को हराने के लिए मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े होंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए देशव्यापी मोर्चा बनाएंगे कि यह कानून वापस लिया जाए।’
गुरुवार रात को संसद ने विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच विकसित भारत जी राम जी (विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)) विधेयक को पारित कर दिया, जो 20 साल पुराने मनरेगा कानून की जगह लेगा। नया विधेयक हर साल 125 दिनों की ग्रामीण मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है। विपक्ष ने मौजूदा ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने का कड़ा विरोध किया और केंद्र सरकार पर राज्यों पर वित्तीय बोझ डालने का आरोप लगाया।
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