
मुंबई। मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को लेकर महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के हालिया फैसले पर दायर याचिकाओं (Petitions) की सुनवाई से बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की एक डिवीजन बेंच ने खुद को अलग कर लिया। मामला उन आदेशों से जुड़ा है जिनमें मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र जारी कर उन्हें ओबीसी (OBC) श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले को ओबीसी संगठनों ने मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है।
कुल पांच याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें कुनबी सेना, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहीर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानंद मंडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महामंडल शामिल हैं। उनका कहना है कि सरकार का फैसला तीन जातियों कुनबी, कुनबी मराठा और मराठा कुनबी के प्रमाणपत्र जारी करने के मानकों को बदल देता है। यह न केवल अस्पष्ट है बल्कि इससे अराजक स्थिति पैदा होगी।
याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संदीप पाटिल ने कहा कि वे इन पर सुनवाई नहीं कर सकते। इसके बाद जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और संदीप पाटिल की बेंच ने मामले से खुद को अलग कर लिया। अब यह याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंकल की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए पेश की जाएंगी।
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