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प्रतियोगी परीक्षार्थियों को मजबूती देगी अभ्युदय योजना

February 16, 2021

– सियाराम पांडेय ‘शांत’

जमाना प्रतियोगिता का है। मौजूदा दौर में छोटी-बड़ी निजी या सरकारी क्षेत्र की जितनी भी नौकरियां हैं, सबके लिए परीक्षाएं आयोजित होती हैं। लिखित परीक्षा, मौखिक परीक्षा और फिर साक्षात्कार में सफल हुए बिना नौकरी मिलती नहीं। किसी भी कांप्टीशन को पास करने के लिए एक नियत समय में छात्रों को निर्धारित प्रश्नों के जवाब देने होते हैं। साक्षात्कार में अपने धैर्य और व्यक्तित्व का प्रकटीकरण करना पड़ता है। एक रिक्ति के सापेक्ष हजारों आवेदक फार्म भरते हैं। ऐसे में सर्वश्रेष्ठ का चयन सेवायोजक के लिए जरूरी हो जाता है। हजार प्रतियोगियों में से किसी एक का चयन किसी के लिए भी कठिन होता है लेकिन उससे भी कठिन होता है प्रतियोगी छात्रों का खुद में हजारों में एक साबित करना।

कांप्टीशन में सफल तो कुछ छात्र ही होते हैं, जो नहीं होते वे निराश और अवसादग्रस्त हो जाते हैं लेकिन उन्हें सोचना चाहिए कि असफलता ही जीवन की कुंजी है। एक अवसर खो देने का मतलब यह हरगिज नहीं होता कि कि अब जीवन में कुछ बचा नहीं। एक दरवाजा बंद होता है तो दस दरवाजे खुल जाते हैं। बस हमें सही समय तक उन दरवाजों तक पहुंचना होता है। कांपटीशन में शत-प्रतिशत सफलता का दावा करने वाले देश-प्रदेश में बहुतेरे सपनों के सौदागर प्रकट हो गए हैं। कोचिंग संस्थान आजकल युवाओं को सपने ही बेच रहे हैं। उनका करोड़ों-अरबों रुपये का कोचिंग का कारोबार है। संपन्न घरों के लड़के तो वहां तैयारी कर भी लेते हैं लेकिन गरीब और मध्यम परिवार के छात्रों के लिए कोचिंग की महंगी फीस जुटा पाना मुश्किल होता है और इस नाते बहुधा वे कांप्टीशन पास करने से वंचित रह जाते हैं।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गरीब छात्रों की इस पीड़ा को न केवल समझा है बल्कि उसके निराकरण के लिए उन्होंने अभ्युदय योजना भी शुरू की है। वैसे यह बात उन्होंने अनेक अवसरों पर कही है कि अयोग्य कोई नहीं होता। सेवायोजक को देखना होता है कि वह उनसे किस तरह काम लेता है या फिर उनका मूल्यांकन किस तरह करता है? बसंत पंचमी ज्ञान की देवी मां सरस्वती का दिन होता है। इस दिन से उन्होंने अभ्युदय योजना के लिए निःशुल्क कोचिंग क्लासेज शुरू करने की घोषणा की है। कोचिंग संस्थान में प्रशिक्षण देने का काम बहुधा वे लोग करते हैं जो किन्हीं कारणों से प्रतियोगी परीक्षा में सफल नहीं हो पाते लेकिन उन्होंने अपने छात्र जीवन में इतनी परीक्षा दी होती है। इतने साक्षात्कार में भाग लिया होता है कि उनके अनुभव प्रतियोगी छात्रों के लिए बहुत काम के होते हैं लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो निःशुल्क कोचिंग क्लास आरंभ की है, उसमें प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस, पीसीएस ऑफिसर, विश्वविद्याालयों के प्रोफेसर, सैनिक स्कूलों के प्राचार्य और विषय विशेषज्ञ स्वांतः सुखाय कोचिंग देंगे। मतलब उस क्षेत्र के महारथियों के अनुभव का लाभ छात्रों को मिलेगा।

अभ्युदय योजना के पहले चरण में 50 हजार से अधिक छात्रों को मुफ्त कोचिंग मिलेगी। प्रतियोगी परीक्षाओं की नि:शुल्क तैयारी का मौका मिले तो उत्तर प्रदेश के होनहार विद्यार्थी अपनी सफलता का परचम लहरा देंगे। इस योजना के लिए आम बजट में विशेष पैकेज की घोषणा भी की गई थी। इस योजना के तहत अब पूरे राज्य में मुफ्त में कोचिंग देने वाले केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसका मकसद ऐसे सभी छात्रों की मदद करना है जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा करने में असमर्थ हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल में कोटा और प्रयागराज में फंसे 30 हजार प्रतियोगी छात्रों को बस भेजकर उनके घर तक पहुंचवाने की व्यवस्था की थी। छात्रों की परेशानियों को देखते हुए उन्होंने उसी समय निर्णय ले लिया था कि वे कोटा की तरह के कोचिंग सेंटर उत्तर प्रदेश में भी स्थापित करेंगे। उनका सपना अब इस रूप में सफल होता नजर आ रहा है। बकौल मुख्यमंत्री, अभ्युदय योजना समग्र विकास के लिए पथ प्रदर्शक साबित होगी।

ऑफलाइन कोचिंग के लिए पहले चरण की लिखित परीक्षा में राज्यभर से 50,192 प्रतियोगियों का चयन किया गया है। मुख्यमंत्री 16 फरवरी को चयनित अभ्यर्थियों से संवाद भी करेंगे। अभ्युदय योजना के लिए पंजीकरण 10 फरवरी की रात शुरू हुआ था और अबतक 4.84 लाख युवा पंजीकरण करवा चुके हैं। हाल ही में एनडीए, सीडीएस, सिविल सेवा, जेईई और नीट के लिए ऑनलाइन टेस्ट हुआ था। ऑनलाइन क्लासेज के लिए अब भी रजिस्ट्रेशन जारी हैं। अभ्युदय योजना के अंतर्गत छात्रों को ऑनलाइन स्टडी मटीरियल के साथ ऑफलाइन कक्षाएं भी लगाई जाएंगी। मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अंतर्गत यूपी एससी, यूपीपीएससी, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, नीट,अर्धसैनिक, केंद्रीय पुलिस बल, बैंकिंग, एसएससी, बीएड, टीईटी और अन्य भर्ती बोर्ड संस्थाओं द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान की जाएंगी। पहले ये केंद्र मंडल स्तर पर बनाए जाएंगे और फिर जिला स्तर पर। रजिस्ट्रेशन कराने वाले छात्र ऑफलाइन क्लासेस में भी शामिल हो सकेंगे और ऑनलाइन कंटेंट भी प्राप्त कर सकेंगे। इन कोचिंग सेंटर्स पर संबंधित सेवा क्षेत्र के दिग्गज भी सीधे तौर पर जुड़ेंगे। मसलन, वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारी कोचिंग में छात्रों की काउंसलिंग करेंगे, वहीं नेशनल डिफेंस एकेडमी और कंबाइंड डिफेंस सर्विसेस जैसी परीक्षाओं के लिए यूपी के सैनिक स्कूलों के प्राचार्य प्रशिक्षण देंगे।

यह एक अच्छी पहल है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। छात्रों को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र और प्रदेश की सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। कौशल प्रशिक्षण केंद्रों के संचालन को इसी रूप में देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होकर न केवल आजीविका प्राप्त करें बल्कि प्रदेश का नाम रोशन करें, यह प्रदेश सरकार की इच्छा है। एक ओर जहां सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए लघु एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना और उनके प्रोत्साहन पर जोर दे रही है। एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत हर जिले के विशिष्ट उत्पादों को तरजीह दे रही है। हुनर हाट आदि के आयोजन करा रही है, वहीं सरकारी विभागों में रिक्त पदों का विवरण भी उन्होंने सभी विभागों से मांग रखा है। युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने की चाहत के बाद भी विपक्ष उनपर बेरोजगारों की अनदेखी का आरोप लगाता रहा है कि लेकिन अन्य किसी भी सरकार में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था नहीं की थी। इस लिहाज से देखा जाए तो सरकार का यह जनहितकारी प्रयास है।

(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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