
डेस्क। मधुबाला (Madhubala) और मीना कुमारी (Meena Kumari) अपने दौर की सबसे सफल और खूबसूरत अभिनेत्रियों (Beautiful Actresses) में से एक थीं। दोनों के स्टारडम के आगे बड़े-बड़े अभिनेता भी फीके लगते थे। लेकिन, खूबसूरती और टैलेंट के मामले में एक तेलुगु सिनेमा की अभिनेत्री इन दोनों ही हसीनाओं को टक्कर देती थी और रईस इतनी कि जेवर बनाने के लिए पर्सनल ज्वेलर रखा था। लेकिन, फिर एक गलती ने इसे ऐसे तबाह किया कि आखिरी दिन तंगहाली में गुजारने पड़े। कभी करोड़ों की मालकिन रही इस अभिनेत्री की जब मौत हुई तो उस दौरान ऐसी हालत थी कि एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी। हम बात कर रहे हैं तेलुगु सिनेमा की बड़ी स्टार रहीं अभिनेत्री सावित्री की, जो उन दिनों तेलुगु सिनेमा की सुपरस्टार हुआ करती थीं और 60 के दशक की सबसे रईस अभिनेत्री थीं।
60 के दशक में सावित्री एक बड़ी स्टार हुआ करती थीं और उनके पास धन-दौलत की भी कोई कमी नहीं थी। उनके पास गाड़ियों का काफिला था और शीश महल जैसे घर में रहती थीं। लेकिन, पति की बेवफाई से ऐसी टूटीं कि शराब की लत में पड़ गईं और इसी शराब की लत में अपना सब कुछ गंवा बैठीं। धीरे-धीरे हालात ऐसे हो गए कि बड़े से बंगले से छोटे से घर में रहने को मजबूर हो गईं और आखिरी दिन भी गरीबी में ही गुजरे।
सावित्री 60 के दशक की सबसे अमीर अभिनेत्रियों में से एक थीं। उनके पास इतनी धन-दौलत थी कि देखने वालों की आंखें चौंधिया जाएं। खूबसूरती के मामले में भी उनकी तुलना मीना कुमारी और मधुबाला जैसी अभिनेत्रियों से हुआ करती थी। सावित्री ने 1950 के दशक की शुरुआत में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। इसी दौरान उन्हें शादीशुदा अभिनेता जेमिनी गणेशन से प्यार हो गया। सावित्री का करियर अच्छा चल रहा था, उन्होंने खुद के लिए आलीशान घर भी बनवाया और गहने बनाने के लिए एक सुनार तक रखा था। ‘मायाबाजार’ की सफलता के बाद तो उनके घर के बाहर फिल्ममेकर्स की लाइन लग जाती थी। लेकिन, जब वह करियर के पीक पर थीं और करोड़ों की संपत्ति बना चुकी थीं, तभी उन्हें पता चला कि उनकी ज्यादातर संपत्ति बेनामी नामों के तहत थी। जब तक उन्हें ये सच पता चला, तब तक सब खत्म हो चुका था।
‘महानति सावित्री: वेंडी तेरा सम्राज्ञी’ नाम की किताब लिखने वालीं पल्लवी ने ‘द हिंदू’ से बातचीत में दावा किया था कि सावित्री अपने पति की बेवफाई से टूट गई थीं। उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा था- ‘अम्मा को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी परेशानियों को कैसे हैंडल करना है। फिल्में फ्लॉप होने लगीं तो उनके करियर में भी गिरावट आने लगी। वह इससे टूट चुकी थीं और इसी दौरान पति की बेवफाई ने भी उन्हें तोड़ दिया। आखिरकार उन्होंने खुद को शराब में डुबो लिया और इसी में सुकून तलाशने लगीं। इसका उन पर बुरा असर हुआ और वह पति से भी अलग हो गईं। इसने उन्हें और तोड़ दिया और वह बुरी तरह शरीब में डूब गईं।’
इसी दौरान सावित्री ने अपने करियर और निजी जिंदगी को लेकर कुछ ऐसे फैसले लिए, जिसके चलते वह तंगहाली के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गईं। एक-एक कर उन्होंने अपनी काफी सारी प्रॉपर्टी बेच दी और 60 के दशक के आखिरी में उनके घर पर आईटी की रेड पड़ी, जिसमें उनकी सारी संपत्ति सीज कर दी गई। इसका उन पर इतना बुरा असर हुआ कि उनकी तबीयत खराब हो गई और वह कोमा में चली गईं। 19 महीने तक कोमा में रहने के बाद 47 साल की उम्र में 1981 में उनका निधन हो गया। उनकी बेटी विजया चामुंडेश्वरी ने ‘डेकेन क्रॉनिकल’ से बातचीत में 2017 में कहा था- ‘मां को अस्पताल के बिस्तर में पड़े देखना मेरे लिए सबसे ज्यादा दुखदायी था।’
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