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कपिल सिब्बल के बाद अब सोनिया गांधी भी विपक्षी नेताओं को खिलाएंगी खाना


नई दिल्ली । संसद (Parliament) का मानसून सत्र (Monsoon session) भारी हंगामे के बीच खत्म (End) हो चुका है। इस बीच राजनीतिक दलों में भी केंद्र की एनडीए सरकार (NDA Govt.) के खिलाफ एकजुटता दिखाने की होड़ लगी है। कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) के बाद अब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) भी विपक्षी नेताओं (Opposition leaders) को खिलाएंगी खाना (Feed) ।


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष के शरद पवार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन से बातचीत कर एक साथ बैठने के लिए आमंत्रित किया है। अभी इसकी कोई तारीख तय नहीं है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि लंच या डिनर पर मिलना नेताओं के कार्यक्रम और उपलब्धता पर निर्भर करेगा।
संयोग से कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के रात्रिभोज में विपक्षी नेताओं के जुटने के ठीक दो दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह पहल की। कपिल सिब्बल के भोज में ग्रुप-23 के नेता भी मौजूद थे, जिन्होंने पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन की मांग की थी। सिब्बल के रात्रिभोज को कांग्रेस में एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि पत्र लेखक (जी -23) अभी भी सक्रिय हैं, नेता एकजुट हैं और पार्टी में उथल-पुथल अभी खत्म नहीं हुई है।

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी आम तौर पर संसद में कम दिखती हैं और सार्वजनिक कार्यक्रमों से बचती हैं, लेकिन मंगलवार और बुधवार को वे सदन की कार्यवाही में शामिल हुईं। बुधवार को वह पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा आयोजित पारंपरिक चाय सभा में भी शामिल हुईं। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे।
इस बीच संसद में एकजुटता दिखाने के बाद विपक्षी नेता अब इसे बाहर भी बनाए रखने में लगे हैं। गुरुवार को राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद कक्ष में मिलने के लिए सभी विपक्षी नेता तैयार हैं। वहां से वे फिर संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने विजय चौक तक मार्च करने की भी योजना बनाई है।

सूत्रों ने बताया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का सुझाव था कि सत्र के अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद नेताओं को “संसद में अपनी आवाज दबाने” के विरोध में राज घाट पर विरोध-प्रदर्शन करना चाहिए, लेकिन अधिकतर नेता संसद के मानसून सत्र में पहुंचने के पक्ष में थे, जिसमें दो दिन की कटौती कर गई। सत्र का समापन शुक्रवार को होना था।
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं से आग्रह किया था कि अगर उन्हें संसद में नहीं बोलने दिया जा रहा है या उनका विरोध राज्यसभा और लोकसभा टीवी चैनलों पर नहीं दिखाया जा रहा है तो वे अपनी आवाज लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल और ऑनलाइन मीडिया का सहारा लें।

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