
लखनऊ । इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench) ने सोमवार को अक्टूबर 2021 के लखीमपुर हिंसा कांड (Lakhimpur Violence Case) में चार आरोपियों (4 Accused) को जमानत देने से इनकार कर दिया (Refuses to Grant Bail) । जस्टिस डी.के. सिंह की खंडपीठ ने अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कथित बयान नहीं दिया होता तो ये घटना नहीं होती। केंद्रीय मंत्री ने किसानों को वहां से खदोड़ने की कथित रूप से धमकी दी थी।
अदालत ने कहा कि नेताओं को गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए क्योंकि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपने उच्च पद की गरिमा का खयाल रखेंगे। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि सांसदों को कानून तोड़ने वालों के रूप में नहीं देखा जा सकता, और यह विश्वास करना मुश्किल है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री सीआरपीसी की धारा 144 के प्रावधानों से अनजान थे। अदालत ने मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी की विशेष रूप से प्रशंसा की। पीठ ने कहा कि आरोप पत्र में आरोपियों और सह-अभियुक्तों के खिलाफ काफी सबूत सामने आए हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा बहुत शक्तिशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं, इसलिए अभियोजन पक्ष को उनके न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को प्रभावित करने के डर से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बाद सभी चार आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।

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