
नई दिल्ली । लोकसभा (Lok Sabha) में वंदे मातरम् (Vande Matram) पर चर्चा के दौरान आज दो बार ऐसा हुआ, जब तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के सांसदों ने सत्ता पक्ष के नेताओं के भाषण के बीच टोका-टोकी की। पहली बार तो जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने चर्चा की शुरुआत की तो उन्होंने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी को बंकिम दा कहा, तब टीएमसी के सौगात रॉय ने इस पर आपत्ति जताई। पीएम मोदी ने मौके की नजाकत को तुरंत भांप लिया और थैंक्यू-थैंक्यू कहने लगे। इसके बाद उन्होंने अपने को ठीक करते हुए बंकिम बाबू कहा। साथ ही उन्होंने सौगात रॉय से पूछा कि आपको तो दादा कह सकता हूं न? वरना उसमें भी आपको ऐतराज हो जाएगा।
पीएम ने खुद को ठीक करते हुए कहा कि आपकी भावनाओं के लिए मैं आदर करता हूं। थैंक्यू। इसके बाद उन्होंने अपने भाषण में कांग्रेस के साथ-साथ टीएमसी पर भी निशाना साधा और तंज कसा कि कांग्रेस ने आज आउटसोर्स कर लिया है। उन्होंने ये भी कहा कि INC अब MMC बन गई है। पीएम मोदी ने वंदे मातरम् के मामले में कांग्रेस पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया और कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने मोहम्मद अली जिन्ना के सामने घुटने टेक दिए थे।
क्या गलत बोल बैठे मंत्रीजी?
उन्होंने चर्चा में आगे कहा कि वंदे मातरम् ‘बंकिम दास चटर्जी’ ने लिखा था, जिसपर विपक्षी तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने एक बार फिर गलत नाम बोले जाने को लेकर आपत्ति जताई और सदन में हंगामा करने लगे। इसके बाद, मंत्री ने भी अपनी गलती मानी और इसमें सुधार करते हुए कहा,‘‘बंकिम बाबू ने वंदे मातरम् लिखा था।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (प्रियंका) कहा कि 1875 में बंकिम चंद्र चटर्जी ने केवल दो अंतरे लिखे थे और सात साल बाद 1882 में उसके बचे हुए पांच अंतरे लिखे थे।’’ उन्होंने कांग्रेस सांसद से इसे प्रमाणित करने को कहा कि ‘‘यह सूचना उन्हें कहां से मिली है?’’
प्रियंका प्रमाणित करें- मंत्री
शेखावत ने कहा, ‘‘बंकिम-भवन गवेषणा केंद्र, नैहाटी, जो बंकिम बाबू की जन्म स्थली पर बना हुआ गवेषणा केंद्र है, एक शोध केंद्र है। वह यह कहता है कि बंकिम बाबू ने पूरा वंदे मातरम् एक बार में, एक साथ लिखा था। लेकिन माननीय सदस्या ने यहां जो अपना वक्तव्य दिया है, उसे प्रमाणित करें कि यह सूचना उन्हें कहां से मिली है?’’ प्रियंका ने कहा था कि बंकिम चंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम् के दो अंतरे 1875 में और बाकी अंश 1882 में लिखे थे।
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