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पंजाब का नया भिंडरांवाले बन रहा अमृतपाल सिंह? आईब-रॉ समेत कुंडली खंगाल रही कई एजेंसियां

नई दिल्ली (New Delhi) । मर्सिडीज की सवारी (Mercedes ride), हथियार बंद निजी सुरक्षाकर्मियों का घेरा, फर्राटेदार अंग्रेजी और खालिस्तान (Khalistan) के विचार में पूरी तरह रचा बसा करीब साढ़े 6 फीट के कद का शख्स अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh)। आईबी, रॉ, एनटीआरओ सहित कई केंद्रीय एजेंसियां अमृतपाल की कुंडली खंगाल रही हैं। यह भिंडरावाला की राह पर आगे बढ़ता सुरक्षा के लिए सिरदर्द अलगाववादी है या फिर विदेशी एजेंसियों का मोहरा। जिसकी फंडिंग यूरोप और कनाडा (Europe and Canada) जैसे देशों से हो रही है। केंद्रीय एजेंसियां (central agencies) पूरी गंभीरता से सारी कड़ियों को खंगाल रही हैं। रॉ ने विदेश में बैठे करीब 130 लोगों की सूची तैयार की है जो खालिस्तान की मुहिम के पीछे हैं और इनसे अमृतपाल का भी कथित तौर पर कनेक्शन है।

एजेंसियां आईएसआई और पाकिस्तान से इतर अमृतपाल की जड़ों को तलाश रही है। जो इनपुट मिले हैं उससे अमृतपाल के खतरनाक इरादों का संकेत मिलता है। उसका दुबई के अलावा ब्रिटेन, कनाडा में मजबूत नेटवर्क है। अन्य देशों में भी खालिस्तान समर्थक फॉलोअर उसके साथ हैं। अमृतपाल सिख युवाओं को बरगलाकर बड़ी फौज तैयार कर रहा है जिससे पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को सीधी चुनौती दे सके। हथियारबंद लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारी इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर मान रहे हैं कि अमृतपाल के इर्द गिर्द अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा है।

अमूमन अमृतपाल सिर पर नीले रंग की पग, शरीर पर सफेद रंग का बाना और हाथ में तलवार रखता है। ‘वारिस पंजाब दे संगठन’का मुखिया अमृतपाल खुद को गर्व से खालिस्तान का समर्थक बताता है। एक अधिकारी ने कहा कि अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में 23 फरवरी को हजारों लोगों की भीड़ जिस तरह से अमृतसर के अजनाला थाने में घुस गई थी, एसके बाद से सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी है। गृह मंत्रालय ने भी इसका संज्ञान लिया है। अधिकारी ने कहा, अमृतपाल पर कोई कार्रवाई नहीं होना कानून व्यवस्था से ही जुड़ा मामला है। अगर जरूरत के मुताबिक कोई कार्रवाई होगी तो उसमे भी कानून व्यवस्था का पहलू सर्वोपरि होगा।


भिंडरांवाले की राह पर अमृतपाल
सूत्रों ने कहा, अमृतपाल खुद को जरनैल सिंह भिंडरांवाले की पैर की धूल बराबर भी नहीं होने का दावा करता है। लेकिन यह सचाई है कि वह पूरी तरह से उनके ही रंग ढंग पर चलने का प्रयास कर रहा है। उसके निवास पर भिंडरावाला की तस्वीर है। वह खुद को उनका अनुयायी भी बताता है। पंजाबी के अलावा अंग्रेजी पर उसकी पकड़ से अच्छी शिक्षा और प्रोफेशन वाले युवाओं के साथ उसका कनेक्ट मजबूत हो रहा है। यूरोप के देशों से इसका निरंतर संपर्क बना हुआ है। अमृतपाल अच्छी हिंदी और उर्दू भी जनता है।

24 घंटे सुरक्षा घेरा
अमृतसर से करीब 40 किमी दूर जल्लूपुर खेड़ा गांव में अमृतपाल सिंह का घर है। घर के ऊपर सिख धर्म के लहराते झंडे रहते हैं। हाथ में कटार, तलवार और बंदूकें लिए कई सेवादार हर पल उसकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा बंदूक और तलवारें सिख धर्म के अंतर्गत स्वीकार्य हैं, लेकिन सैकड़ो की संख्या में बंदूकों से घिरे रहने को अमृतपाल सुरक्षा के लिए जरूरी बताता है।

एक अधिकारी ने कहा कि एजेंसियां इस बात की पुख्ता जानकारी कर रही हैं कि अमृतपाल के साथ रहने वाले लोगों के पास कितने लाइसेंसी और कितने गैर लाइसेंसी हथियार है। क्योंकि ए के सीरीज के हथियारों के अलावा कुछ कार्बाइन और ऐसे अन्य हथियारों के बारे में जानकारी मिली है जिनका लाइसेंस नही दिया जाता।

1929 में शुरू हुआ खालिस्तान आंदोलन
खालिस्तान आंदोलन की कहानी 1929 में शुरू होती है। 1973 में अकाली दल ने अपने राज्य के लिए स्वायत्तता की मांग की। ये मांग आनंदपुर साहिब रिजोल्यूशन के जरिए मांगी गई थी। आनंद साहिब रिजोल्यूशन का ही कट्टर समर्थक था जरनैल सिंह भिंडरांवाले। रागी के तौर पर सफर शुरू करने वाले भिंडरांवाले आगे चल कर उग्रवादी बन गया। 1982 में भिंडरांवाले ने शिरोमणि अकाली दल से हाथ मिला लिया और असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। यही असहयोग आंदोलन आगे चलकर सशस्त्र विद्रोह में बदल गया।

दुबई से समेटा कारोबार
अमृतपाल सिंह की उम्र 29 साल है। अमृतपाल का बचपन जल्लूपुर खेड़ा गांव में बीता। यहीं 12 वीं तक पढ़ाई हुई। कपूरथला में उसने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था, लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं की। इसके बाद वह दुबई चला गया। इसने ‘वारिस पंजाब दे की जिम्मेदारी दीप सिद्धू के निधन के बाद संभाली है। अभिनेता और एक्टिविस्ट संदीप सिंह उर्फ़ दीप सिद्धू जो 26 जनवरी 2021 को लालक़िले पर खालसा पंथ का झंडा फहराने को लेकर ख़बरों में आए थे। वह 15 फ़रवरी 2022 को एक सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई। अपनी मौत से छह महीने पहले यानी सितंबर 2021 में सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ की नींव रखी थी। वह दुबई में रहकर ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस चलाता था। पर अब दुबई से काम समेटकर वापस आ गया है।

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