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अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी से खुश अन्वय नाईक का परिवार


मुंबई। खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में अर्णब गोस्वामी (Arnab Goswami) की गिरफ्तारी पर पीड़ित परिवार ने तसल्ली जताई है। इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की पत्नी और बेटी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमें गोस्वामी की गिरफ्तारी से तसल्ली मिली है। हम पर पहले पुलिस से इस बात का बहुत दबाव था कि इस केस को बंद कर दिया जाए। हमारे पिता ने अर्णब को मेल लिखी थी कि हमारे पैसे लौटा दें, हमारे लिए जीवन-मरण का सवाल बन गया था, लेकिन वह मेरे पिता से मिले तक नहीं।

नाइक की बेटी अदन्या ने आरोप लगाया कि रिपब्लिक टीवी से पेमेंट नहीं मिलने की वजह से परेशान होकर मेरे पिता और दादी ने जान दे दी। उन्होंने कहा कि हम इस मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहते हैं। मैंने अपने परिवार के दो सदस्य इस मामले की वजह से गंवा दिए हैं। हम चाहते हैं कि लोग समझें कि किस तरह अर्णब गोस्वामी जैसे ताकतवर लोग आराम से बच निकलते हैं। यह गिरफ्तारी पहले ही होनी चाहिए थी।

‘सूइसाइड नोट में अर्णब गोस्वामी का नाम लिखकर गए थे मेरे पति’
नाइक की पत्नी अक्षता ने इस केस की सुशांत सिंह राजपूत मामले से तुलना करते हुए कहा कि मेरे पति सूइसाइड नोट में नाम तक लिखकर गए थे, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अर्णब कहते रहे कि सुशांत सिंह केस में गिरफ्तारी होनी चाहिए, जबकि उसमें सूइसाइड नोट तक नहीं था।

कानून के जानकार बोले- कानून से बड़ा कोई नहीं
2018 के सूइसाइड मामले में कथित आरोपी अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी से कई सवाल उठे हैं। कानून के जानकरों का कहना है कि इस मामले में राजनीति ठीक नहीं है, क्योंकि कानून के सामने सब बराबर हैं। इस मामले में भी वही हुआ है।

क्या बोले वकील
बॉम्बे हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार दुबे ने कहा कि अगर पुलिस और न्याय प्रक्रिया व्यक्ति की हैसियत देखकर कार्रवाई और न्याय करेगी, तो न्याय कहां होगा? अब मृतक की पत्नी और बेटी की मांग पर यह केस सीआईडी को दिया गया है। मामले में जरूर कुछ तथ्य मिले होंगे, जिस पर फिर से जांच शुरू हुई है। यह एक आपराधिक मामला है, इसमें पीड़ित परिवार को न्याय मिलना ही चाहिए। सीनियर वकील आभा सिंह ने कहा, ‘किसी भी आपराधिक मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। यह सूइसाइड का मामला है। मृतक के सूइसाइड नोट में अर्नब सहित तीन का नाम है, इसलिए उनकी जांच होनी चाहिए। इस मामले में पहले क्लोजर रिपोर्ट की बात कही जा रही है, लेकिन अगर मामले में कोई नया तथ्य और दस्तावेज सामने आता है, तो जांच एजेंसी उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है।’

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