2800 बिजली चोरों से 3.90 करोड़ पूरे साल में वसूले

  • वर्ष 2023 में चार लोक अदालत… उपभोक्ता और कंपनी दोनों की बल्ले बल्ले-वसूली अभियान आगे भी जारी रहेगा
  • सवा 4 करोड़ रुपए की छूट का लाभ मिला उपभोक्ताओं को

उज्जैन। बिजली कंपनी के लिए चोरी और लाइन लास काम करना आज भी चुनौती बना हुआ है। 1 साल में चार लोक अदालत लगाई गईं, जिनमें बिजली चोरी करने के 14 हजार से ज्यादा प्रकरणों में समझौते हुए। कंपनी को करोड़ों रुपए की पेंडिंग वसूली मिली। उज्जैन शहर में 2800 बिजली चोरों से 3.90 करोड़ रुपए की वसूली की गई है। अभी भी 16 करोड़ रुपए बकाया वसूलना है।

वर्ष 2023 समाप्त होने को है। इस वर्ष की चार लोक अदालत में बिजली कंपनी को 21 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिला है, जबकि उपभोक्ताओं को शासकीय आदेशानुसार कुल सवा चार करोड़ की नियमानुसार छूट भी प्रदान की गई है। बिजली कंपनी ने उज्जैन-इंदौर संभाग के अपने 15 जिलों में इस वर्ष में 11 फरवरी, 13 मई, 9 सितंबर, 9 दिसंबर की लोक अदालत के लिए प्रभावी तैयारी की थी। सभी लोक अदालतों में कंपनी को हजारों प्रकरणों का समाधान कराने में सफलता मिली है। चारों लोक अदालत में बिजली संबंधी कुल 14075 प्रकरणों का समाधान हुआ है। इन लोक अदालतों में कंपनी ने शासकीय आदेशानुसार प्री-लिटिगेशन और लिटिगेशन वाले प्रकरणों पर ब्याज की शत प्रतिशत और मूल सिविल दायित्व राशि में 20-30 प्रतिशत की छूट प्रदान की है। सभी प्रकार की कुल 4 करोड़ 25 लाख से ज्यादा की छूट दी गई है। मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कि लोक अदालत के लिए नोटिस देकर, फोन से सूचना देकर, एसएमएस, अनाउंसमेंट कर व अन्य माध्यमों से तैयारी की जाती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण हो एवं शासकीय आदेशानुसार छूट संबंधितों को प्रदान की जा सके।

विजिलेंस में 50 हजार प्रकरण बिजली चोरी के पेंडिंग
बिजली कंपनी के सतर्कता विभाग ( विजिलेंस) में बिजली चोरी करने वाले उपभोक्ताओं पर जुर्माना आदि कई चार्ज लगाए जाते हैं। यहां पर तकरीबन 50,000 से ज्यादा प्रकरण पेंडिंग चल रहे हैं, जिनमें कंपनी को तकरीबन सवा सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व वसूलना है। विभाग में गिनती के अधिकारी काम करते हैं। अमला कम होने से काम नहीं हो पाता। वही जो अधिकारी बैठे हैं वह लंबे समय से विभाग में जमे हुए हैं। कार्यशैली भी अपने हिसाब से ही संचालित करते हैं। आला अधिकारियों को चाहिए कि यहां लोक अदालत के अलावा भी प्रकरणों का निपटान जल्दी हो, ताकि उपभोक्ताओं पर अनावश्यक दबाव-प्रभाव की स्थिति न बने और कंपनी को रुके हुए राजस्व की प्राप्ति आसानी से हो सके।

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