रिटायरमेंट से पहले सुप्रीम कोर्ट के जज ने दी सीख, बोले- डर के बिना फैसला सुनाएं जज

नई दिल्‍ली (New Dehli) । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के वरिष्ठ जज न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul)ने शुक्रवार को कहा कि जजों को निर्भिक (fearless)होना चाहिए क्योंकि उन्हें संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। न्यायमूर्ति कौल ने सुप्रीम कोर्ट में अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा कि यदि संवैधानिक संरक्षण प्राप्त जज निर्भीकता नहीं दिखाते हैं, तो हम प्रशासन में अन्य लोगों से ऐसा करने की उम्मीद नहीं कर सकते।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी डर या पक्षपात के न्याय किया है और उन्हें लगता है कि न्याय का यह मंदिर हमेशा खुला रहना चाहिए। साथ ही कहा कि मेरा मानना है कि एक जज की निर्भीकता एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है। जज यदि अपने पास मौजूद संवैधानिक संरक्षण के साथ निर्भिकता को प्रदर्शित करने में सक्षम नहीं हैं, तो हम प्रशासन के अन्य तंत्रों से ऐसा करने की उम्मीद नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहिष्णुता का स्तर कम हो गया है, लोगों को एक-दूसरे की राय के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि जजों की निर्भीकता एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है, ऐसे में बार एसोसिएशन की यह जिम्मेदारी है कि ‌वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करे। न्यायमूर्ति कौल सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में छह साल और 10 माह से अधिक के कार्यकाल के बाद 25 दिसंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं और शुक्रवार को उस ‘रस्मी पीठ’ का हिस्सा थे, जो उन्हें विदाई देने के लिए एकत्र हुई थी। शीर्ष अदालत में 18 दिसंबर से एक जनवरी, 2024 तक शीतकालीन अवकाश रहेगा, ऐसे में उनका 15 दिसंबर अंतिम कार्यदिवस रहा।

मुख्य न्यायाधीश ने छात्र दिनों को याद किया

रस्मी पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मौके पर न्यायमूर्ति कौल के साथ अपने जुड़ाव और छात्र दिनों को याद किया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने 70 के दशक के मध्य के दिनों को याद करते हुए कहा कि हम दोनों एक साथ कॉलेज के छात्र थे और मुझे लगता है कि यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है कि हमने एक-दूसरे के साथ यहां भी (सुप्रीम कोर्ट) पीठ साझा की, चाहे वह पुट्टास्वामी (निजता का अधिकार) मामला हो, या समलैंगिकों के विवाह की मंजूरी देने का मामला हो या हाल ही में अनुच्छेद 370 से संबंधित मामले में संविधान पीठ का फैसला। मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति कौल के साथ अपनी दोस्ती को अपने लिए अत्यधिक ताकत का स्रोत बताया।

26 दिसंबर, 1958 को जन्मे न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। 15 जुलाई, 1982 को बार दिल्ली विधिज्ञ परिषद में एक वकील के रूप में नामांकित हुए। दिसंबर 1999 में उन्हें वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया था। तीन मई, 2001 को दिल्ली हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था और दो मई, 2003 को उन्हें स्थायी नियुक्ति प्रदान की गई। उन्हें एक जून, 2013 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। 26 जुलाई, 2014 को उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का प्रभार संभाला। 17 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

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