चीन को फिर लगा झटका, भारत के खिलौनों से खेलेगा अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका

नई दिल्ली: चीनी खिलौनों की डिमांड पूरी दुनिया में होती है. अमेरिका, यूरोप और दुनिया के बाकी हिस्सों के बाजार चीनी खिलौनों से पटे पड़े हैं. जर्मनी के न्यूरमबर्ग शहर में इंटरनेशनल टॉय फेयर लगा हुआ है. जहां पर भारत के खिलौनों की धूम मची हुई है. जिसकी वजह से चीन को मिर्ची लगी हुई है. यहां तक कि पांच दिन के अंतरराष्ट्रीय खिलौना मेले में भाग लेने वाले भारतीय टॉय मेकर्स को करोड़ों रुपए के ऑर्डर मिले हैं. टॉय एक्सपोर्टर्स ने यह जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय मेकर्स ने मेले में हाई क्वालिटी के परफॉर्मेंस दिया है. इसका मतलब है कि अब अमेरिका से लेकर यूरोप और अफ्रीका तक भारतीय खिलौलों से खेलने के लिए तैयार है.

भारत की इंटरनेशनल टॉय फेयर में धूम
उनके अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी जैसे देशों के खरीदारों ने उनके उत्पादों में रुचि दिखाई और अच्छी संख्या में ऑर्डर दिए. न्यूरमबर्ग इंटरनेशनल टॉय फेयर तीन फरवरी को संपन्न हुआ. दुनिया के सबसे बड़े खिलौना मेलों में शामिल इस आयोजन में 65 से अधिक देशों के 2,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए. ग्रेटर नोएडा स्थित लिटिल जीनियस टॉयज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ नरेश कुमार गौतम ने कहा कि हमारे प्रोडक्ट्स को भारी सराहना मिली. चाहे वह लकड़ी के शिक्षाप्रद खिलौने हों या सॉफ्ट टॉयज. चीनी खिलौनों के प्रति एक मजबूत चीन विरोधी भावना थी और भारतीय खिलौनों की सराहना की गई. उन्होंने कहा कि दो चीनी कंपनियों ने खिलौना विनिर्माण के लिए भारत में लिटिल जीनियस के साथ ज्वाइंट वेंचर स्थापित करने में दिलचस्पी दिखाई है.

इंपोर्ट में 52 फीसदी की कमी
वाणिज्य और राज्य मंत्री उद्योग सोम प्रकाश ने राज्यसभा को दी जानकारी के अनुसार टॉय इंडस्ट्री के लिए सरकार द्वारा बनाए गए अनुकूल मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की वजह से वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2022-23 तक खिलौनों के कुल इंपोर्ट में 52 फीसदी की कमी और खिलौनों के निर्यात में 239 फीसदी की वृद्धि हुई है. ‘मेड इन इंडिया खिलौनों’ को बढ़ावा देने के लिए एक सक्रिय अभियान के साथ-साथ भारतीय मूल्यों, संस्कृति और इतिहास के आधार पर खिलौनों की डिजाइनिंग को प्रोत्साहित करने के उपायों, सीखने के संसाधन के रूप में खिलौनों के उपयोग से वांछित परिणाम मिले हैं.

कितना इंपोर्ट और एक्सपोर्ट
सरकार खिलौनों की क्वालिटी की निगरानी, ​​घटिया और असुरक्षित खिलौनों के इंपोर्ट को प्रतिबंधित करने और स्वदेशी खिलौना समूहों को बढ़ावा देने के साथ-साथ टॉय डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए हैकथॉन और ग्रैंड चैलेंजेस का भी आयोजन कर रही है. इस कैंपेन से टॉय इंडस्ट्री में जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिला है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में खिलौनों का कुल इंपोर्ट 332.55 मिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 158.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है. अगर बात एक्सपोर्ट की करें तो वित्त वर्ष 2014-15 में 96.17 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 325.72 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है.

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