कांग्रेस नेता के विवादित बयान पर छिड़ा विवाद, बजरंगबली को बताया आदिवासी

जबलपुर (Jabalpur) । कर्नाटक से शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसे लेकर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी जमकर राजनीति हो रही है. विवाद बजरंगबली (bajrangbali) की जाति और धर्म तक पहुंच गया है. अब एक कांग्रेस विधायक (Congress MLA) कह रहे हैं कि बजरंगबली आदिवासी थे और उन्होंने भगवान राम की रक्षा की थी. अब कोई उनका नाम लेकर आदिवासी समाज (tribal society) को अपमानित न करें.

यहां बता दें कि यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने बजरंग दल को बैन करने की बात कही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के तमाम नेताओं ने इसे बजरंगबली का अपमान बताते हुए चुनावी मुद्दा बना लिया है. बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने तो मध्य प्रदेश में आक्रामक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. जबलपुर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस दफ्तर में विरोध करते हुए जमकर तोड़फोड़ भी की.

इस बीच सिवनी जिले की बरघाट विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया ने बीजेपी पर बजरंग बली के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए नई बहस छेड़ दी है. उन्होंने रविवार को सिवनी के उड़पानी गांव में आयोजित कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में पीसीसी चीफ कमलनाथ की मौजूदगी में कहा, ‘बजरंग दल, आरएसएस और ये राम सेना के लोगों ने आदिवासियों को मारा है, वह बजरंगबली की बात करते हैं. बजरंगबली आदिवासी हैं. वे जंगल में रहते थे. उन्होंने भगवान राम की रक्षा की. उनकी सहायता की. वहां पे कोई करणी सेना नहीं गई. क्षत्रिय नहीं गए. ब्राह्मण की सेना नहीं गई.’

‘वहां पर अगर किसी ने भगवान राम की कोई मदद की है, तो वो आदिवासियों ने की है. हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे, अगर कोई हमारे बजरंगबली, जो आदिवासी हैं, उनका कोई अपमान करेगा. उनका नाम लेकर सड़क पर उतरेगा, उनको बदनाम करेगा, तो आदिवासी समाज उसको छोड़ेगा नहीं.’

कांग्रेस का मौन जुलूस
वहीं, जबलपुर में रविवार को कांग्रेस ने गांधीवादी तरीके से एक मौन जुलूस निकाला. राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा की अगुवाई में कांग्रेस जनों ने इस दौरान शांति मार्च किया. यह मार्च पिछले हफ्ते बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा कांग्रेस दफ्तर में तोड़फोड़ के खिलाफ था. इस दौरान सांसद विवेक तंखा ने कहा, ‘यदि कोई पार्टी हिंसा में विश्वास करती है, या हिंसा को प्रोत्साहन देती है, या हिंसा करने वालो को संरक्षण देती है,वो सरकार में रहने के लायक़ नहीं है.’

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