शेयर बाजार में पिछले कुछ दिन में हुई तेज गिरावट, जानिए क्‍या है वजह ?

नई दिल्ली (New Delhi) । शेयर बाजार (Share Market) में पिछले कुछ दिन में बहुत तेज गिरावट (decline) देखने को मिली है. जबकि 1 हफ्ते पहले तक बाजार तेजी से ऊपर जा रहा था. 16 जनवरी को अपना 52 हफ्तों का हाई छूने वाला सेंसेक्स (Sensex) अब 350 अंक टूट चुका है. निफ्टी का भी कमोबेश यही हाल है. लेकिन ऐसा हो क्यों रहा है. इसका जवाब है एफपीआई की निकासी. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने अब तक इक्विटी मार्केट से 24734 करोड़ निकाल लिए हैं. एफपीआई द्वारा ऐसा करने का कारण सेबी का एक आदेश है.

सेबी के इस नए नियम को 31 जनवरी तक विदेशी निवेशकों को मानना ही होगा. यह नियम क्या है? दरअसल, सेबी ने कहा है कि एफपीआई को अब अपने बारे में पहले से ज्यादा जानकारी देनी होगी. सेबी यह चाहता है कि एफपीआई के जरिए कोई भी विदेशी कंपनी फर्जी तरीके से किसी भारतीय कंपनी का मालिकाना हक ना हासिल कर ले. एफपीआई के नियम एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) जैसे सख्त नहीं है. इसका फायदा उठाकर कई बार विदेशी कंपनियां एफपीआई के जरिए भारतीय कंपनियों पर मालिकाना हक लेने का प्रयास करती हैं.

क्या-क्या मांगा गया
सेबी ने पिछले साल ही इस संबंध में नए नियम जारी किए थे जिन्हें मानने के लिए एफपीआई को 90 दिन का समय दिया गया था. अब यह नियम 1 फरवरी से लागू हो जाएंगे. नए नियम के अनुसार, एफपीआई को उन कंपनियों के बारे में विस्तार से बताना होगा जहां उनकी हिस्सेदारी, इकोनॉमिक इंट्रस्ट और कंट्रोल राइट्स हैं.

कौन से एफपीआई रडार पर
हालांकि, इस नियम के तहत हर एफपीआई नहीं आएगा. सेबी ने 2 श्रेणी के एफपीआई को अतिरिक्त डिस्क्लोजर देने को कहा है. पहली श्रेणी उन एफपीआई की है जिनके पास भारत में किसी एक कंपनी में 50 फीसदी या उससे से अधिक का निवेश है. दूसरी श्रेणी है उन एफपीआई की जिनकी भारतीय बाजार में कुल होल्डिंग 25,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक है. सॉवरेन वेल्थ फंड्स, कुछ ग्लोबल एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनियां, ऐसे फंड जो पहले से किसी देश में रेग्युलेट होते हैं उन्हें कोई अतिरिक्त जानकारी देने की जरूरत नहीं है.

सेबी 31 अक्टूबर 2023 को पहली बार यह नियम लेकर आया था और एफपीआई को 90 दिन का समय इस नियम को मानने के लिए दिया था. यानी 29 जनवरी 2024 तक यह शर्त पूरी करनी होगी. हालांकि, जेनुइन एफपीआई को और 30 ट्रेडिंग डेज का समय दिया जाएगा. इसके बाद अगर वे शर्तों को पूरा नहीं कर पाते तो 6 महीने में उन्हें अपनी हिस्सेदारी भारतीय मार्केट में घटानी होगी.

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