जीवन संग्राम के सभी युद्ध जीतना है तो परमात्मा को सौंप दो स्वयं की लगाम-

  • भागवत कथा में पं. धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री जी ने बताई समर्पण की महिमा, कहा विजेता बनना है तो मन की लगाम परमात्मा को सौंप दो

जबलपुर। जीवन संग्राम के सभी युद्ध यदि जीतना है तो स्वयं की लगाम परमात्मा को सौंप दो। लगाम अपने हाथों में रखोगे तो हारना ही पड़ेेगा। ये बात बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्रीजी महाराज ने कही। वे पनागर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से कथा पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अर्जुन ने महाभारत युद्ध जीता ही इसलिए क्योंकि रथ की डोर उन्होंने भगवान को सौंप दी थी। हम भी जीवन संग्राम में उतरने के पहले खुद को परमात्मा को सौंप दें।

हनुमानजी ने सुनी गीता
महाराजश्री ने कहा कि ऐसा मेरा मानना है कि अर्जुन का मोह तो बहाना था। श्रीकृष्ण जी को गीता ज्ञान तो श्री हनुमानजी को सुनाना था, जो रथ के शीर्ष पर विराजमान थे। श्री हनुमानजी महाराज ने रामजी से सदा प्रार्थना की थी कि उन्हें ज्ञान प्रदान करें। हनुमानजी ने युद्ध का भार सम्हाल लिया। हम भी भगवान की शरण लेंगे तो हनुमानजी महाराज हमारे बोझ ले लेंगे।

संयम जीवन का बड़ा मंत्र
राजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए महाराज श्री ने कहा कि संयम जीवन का बड़ा सिद्ध मंत्र है। राजा पारीक्षित को आत्म नियंत्रण के चार उपाय बताए गए। आसन पर स्थिर रहो, श्वांसों को साधो, संग-सत्संग पर ध्यान दो और इंद्रियों को जीत लो। दिती कश्यप की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि संध्या के समय निंद्रा, भोजन, मैथुन और स्वाध्याय करने पर दोष लगता है।

किसी के चक्कर में मत पड़ो
उन्होंने कहा कि जीवन सफल करना है तो किसी के चक्कर में पड़े बिना भगवान के चक्कर में पड़ो। उन्होंने कहा कि मुझ पर बागेश्वर धाम महाराज की कृपा है। आप भी हाथों में नारियल लेकर बागेश्वर सरकार से बोलो बहुत धक्के खा लिए। आज से हम तुम्हारे और तुुम हमारे। इतना कह कर लौट आना फिर तुम जिस दिन भी जाना पेशी करने, जरूरी नहीं मंगल को जाना जिस दिन जाओगे वो दिन मंगल का होगा, घर बागेश्वर हो जाएगा।

दूसरे धर्म वाले भी कहेंगे हरि-हरि
सनातन और हिंदू शब्द पर उन्होंने कहा कि तुम हमारा साथ दो हम तुम्हें हिंदू राष्ट ्र देंगे। हम चाहते हैं कि आने वाली पीढी राम की पूजा गर्व के साथ कर पाए। तुम्हारी बेटी-बहू लव जेहाद में न सताई जाए। इसके अलावा कोई और उद्देश्य दरबार लगाने का नहीं है। उन्होंने कहा कि चार-पांच साल रुकिए, दूसरे धर्म वाले भी हरि-हरि बोलेंगे। उन्हें बोलना ही पड़ेगा, हम बुलवा के रहेंगे। उनका कहना था कि परचा तुम्हारे लिए बड़ा विषय होगा, हमारे हनुमानजी के लिए ये विषय नहीं है। उनके लिए ये खेल है। इंसान की खोपड़ी बहुत खतरनाक होती है। एक प्रश्न पूरा होगा तो दूसरा खड़ा हो जाएगा। एक दर्द ठीक होगा, तो दूसरा ठीक होगा। प्रश्न की झड़ी लगती जाएगी। परचा खतम हो जाएंगे समस्या खतम नहीं होगी। बात एक समस्या की नहीं जीवन में समस्या न हो, इसकी है। हर समस्या का समाधान पाना चाहते हो तो प्रभु के हो जाओ।

महापौर ने की आरती
कथा के पूर्व महाराजश्री ने श्रीमद भागवत कथा पोथी और भगवान की पूजा की। आयोजन समिति की ओर से हुई आरती में शहर के प्रथम नागरिक महापौर जगत बहादुर अन्नू सहित समाजसेवी लेखराज सिंह, सत्येन्द्र पटेल और अन्य विशिष्टजन शािमल हुए। महाराज श्री ने सभी को रामनामी दुपट्टा पहना कर आशीर्वाद दिया। आयोजक पनागर विधायक सुशील इंदू तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

अमेरिका से आए भाई-बहन
दिव्य दरबार में गत दिवस अमेरिका के कैलिफोर्निया से भी भक्त आए। अमेरिका रह रहा उनका भक्त दिल्ली में रहने वाली बहन के साथ दरबार में पहुंचा। उसने बताया कि वो बागेश्वर धाम महाराज के दर्शनों को गया था, ये पता लगने पर कि आप यहां हैं। जबलपुर आ गया। भीड़ देख कर मैं लौटने लगा था कि आपने मंच से बुला लिया। अचानक बुलावे और मन के प्रश्न जान लेने पर वो अवाक रह गया। दरबार में यूपी-बिहार-उड़ीसा के लोग भी मंच पर बुलाए गए। वहीं शहर के सुहागी, रांझी, पनागर सहित पूरे शहर के लोग मंच से बुलाए गए।

बागेश्वर महाराज का तीसरा दिन दिव्य दरबार के नाम
वैश्विक आध्यात्मिक गगन में धु्रव तारा से चमक रहे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज की शहर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन उनके बहुचर्चित दिव्य दरबार के नाम रहा। पनागर से अमरीका तक इसकी चर्चा रही। दरबार लगाने के पूर्व महाराजश्री ने चमत्कारिक समझे जा रहे इस परचा के बारे में कहा कि इस परचे का आधार श्री बाघेश्वर धाम सरकार की महाकृपा है। उन्होंने दो टूक कहा कि ये परचा तो बहाना है। हमारा असल उद्देश्य तो सबको सांसारिक पीड़ा से निजात दिला कर उनका हाथ श्री बाघेश्वर धाम सरकार को पकड़ाना है।

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