इमरान खान ने भारत पर लगाया ये आरोप, बोले- पाकिस्तान 1971 में वाले रास्ते पर..

इस्लामाबाद (Islamabad)। रावलपिंडी की जेल (Rawalpindi jail) में बंद पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Former Prime Minister Imran Khan) ने भारत (India) और अफगानिस्तान (Afghanistan) से लगी सीमाओं पर देश में हालात खराब होने की चेतावनी दी है। ब्रिटेन के ‘डेली टेलीग्राफ’ अखबार के लिए एक कॉलम में इमरान खान ने लिखा कि पाकिस्तान उसी रास्ते पर चल रहा है, जिस पर वह 1971 में चला था. जब उसने अपना पूर्वी इलाका और अब बांग्लादेश (Bangladesh) को खो दिया था. रावलपिंडी की अदियाला जेल से खान ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान आतंकवाद और बलूचिस्तान में अलगाव बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ‘भारत पहले ही पाकिस्तान के अंदर हत्याएं करने की बात कबूल कर चुका है और पाकिस्तान की सीमाओं पर अफगानिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा अस्थिरता बनी हुई है।

इमरान खान ने पाकिस्तान के खराब हालात पर अफसोस जताया है. जहां उनके जैसे राजनीतिक नेता जेल में बंद हैं और कहा कि शक्तिशाली सैन्य नेतृत्व के लिए अगर अब कुछ बचा है वह उनकी ‘हत्या’ करना है. शक्तिशाली सेना ने पाकिस्तान के अस्तित्व के 75 से अधिक साल में आधे से अधिक समय तक शासन किया है. सेना ने सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में काफी शक्ति का इस्तेमाल किया है. जबकि सेना ने देश की राजनीति में हस्तक्षेप से इनकार किया है।

71 साल के क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने अपने पिछले दावे को दोहराया कि अगर उन्हें या उनकी पत्नी को कुछ भी होता है, तो सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर जिम्मेदार होंगे. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक ने कहा कि सैन्य उद्देश्यों के लिए अमेरिका को हवाई क्षेत्र और संबंधित सुविधाओं तक पहुंच के प्रावधान के बदले में अमेरिका से ‘निर्विवाद समर्थन’ की सेना की उम्मीद विफल हो गई है. मानवाधिकार प्रथाओं पर नवीनतम अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में पाकिस्तान में कई मानवाधिकार उल्लंघनों पर रोशनी डाली गई है।

इमरान खान ने 8 फरवरी के आम चुनाव के लोकतांत्रिक ढंग से बदला लेने की सराहना की. जिसके दौरान लोग बाहर आए और उनकी पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवारों के लिए ‘भारी मतदान’ किया. इमरान खान ने लिखा कि ‘दुर्भाग्य से लोगों के जनादेश को कबूल करने के बजाय सैन्य प्रतिष्ठान गुस्से में आ गया और हारे हुए लोगों को सत्ता में लाने के लिए चुनावी नतीजों में हेरफेर किया गया।

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