जेडीए की करोड़ों की सरकारी जमीन पर पनप गया कबाड़ी

  • दाल में कुछ काला नहीं, साझे की हांडी की पूरी दाल ही काली
  • जेडीए अपनी 9 करोड़ 55 लाख की मूल्यवान जजेडीए अपनी 9 करोड़ 55 लाख की मूल्यवान जमीन से सईद शटर का कबाडख़ाना नहीं करवा पा रहा खाली

जबलपुर। अग्निबाण द्वारा लगातार सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को लेकर अपने पिछले अंको में कबाडिय़ों के अतिक्रमण की खबर को प्रकाशित किया था। इसमें की यह बात बड़ी प्रमुखता से बताई गई थी कि कैसे सईद शटर नाम के अतिक्रमणकारी ने जेडीए की लगभग साढ़े नौ करोड़ की जमीन पर अपना कबाडख़ाना खोल रखा है। क्षेत्रवासियों द्वारा लगातार शिकायत भी की गई है परंतु अभी तक जेडीए द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है और बाकायदा सईद शटर दिलेरी से वहां अपना करोड़ों का कारोबार संचालित कर रहा है।
बाजार मूल्य 9 करोड़ 55 लाख
उक्त 17,329 वर्गफुट शासकीय भूमि जिसका बाजार मूल्य लगभग 9 करोड़ 55 लाख रूपये होता है। शासकीय भू- अभिलेखों में शासकीय भूमि (जबलपुर विकास प्राधिकरण) दर्ज होने के बाद भी जेडीए की चुप्पी और अधिकारियों का मौन इस बात को उजागर करते है कि दाल में कुछ काला नही बल्कि साझे की हांडी की पूरी दाल ही काली है। ऊपर से जेडीए ऑफिस से संबंधित फाइल भी गायब कर दी गई है। ऐसा आरोप शिकायतकर्ता ने अपनी लिखित शिकायत में लगाया है। शिकायतकर्ता ने इतना तक आरोप लगाया है कि उक्त संबंधित सरकारी जमीन की फाइल 5 लाख रुपये देकर जेडीए कार्यालय से गायब कर दी गई है। अगर यह आरोप झूठा और बेबुनियाद है तो जेडीए को खुद आगे बढ़कर अपने स्वयं के स्वामित्व की 9 करोड़ 55 लाख रुपये की मूल्यवान सरकारी भूमि विधिवत सरकारी मशीनरी की मदद लेकर अतिक्रमणकारी के चंगुल से उक्त जमीन आजाद करवाते सरकारी कब्जा वापस लेना चाहिये।

क्या कहता है सरकारी रिकॉर्ड
सईद शटर द्वारा अतिक्रमण करते कब्जाई शासकीय जेडीए स्कीम नंबर 9 की जमीन शासकीय भू-अभिलेख खसरा वर्ष 2022-2023 वर्तमान खसरा नंबर 62/बी(सी)-0.1190 हैक्टर -13,000 वगफुट एवं खसरा नंबर 83/1-0.024 हेक्टेयर-4329 वर्गफुट, 2 किता:17,329 वर्गफुट (शासकीय)जबलपुर विकास प्राधिकरण, सिविक सेंटर मढाताल जबलपुर शासकीय पट्टेदार दर्ज है जो कि ग्राम गोहलपुर हल्का गोहलपुर तहसील अधारताल जिला जबलपुर दर्ज है (खसरा संलग्न)इन अकाट्य प्रमाणों के बावजूद जबलपुर विकास प्राधिकरण की चुप्पी सवालिया निशान खड़ा करती है। इसके पूर्व भी अतिक्रमण हटाने न्यायालयीन आदेश हुआ था परंतु अतिक्रमण शाखा नगर निगम से सैटिंग हो गई थी। बुद्धिजीवी और कानून के ज्ञाता जानते है कि जब अद्यतन खसरे में उक्त भूमि जबलपुर विकास प्राधिकरण के नाम दर्ज है तो वास्तविक भू-स्वामी तो शासन हैए जबलपुर विकास प्राधिकरण की भूमिका भी इस प्रकरण में संदिग्ध है।

इस मामले को लेकर जब जबलपुर विकास प्राधिकरण के सीईओ प्रशांत श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आपके द्वारा मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा की मौके पर जाकर उक्त भूमि का सीमांकन कराया जाए। अगर अतिक्रमण पाया गया तो नगर निगम के अधिकारियों को पत्र लिखकर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाएगी।

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