RBI की विदेशी UPI ऐप्स पर कड़ी नजर, गूगलपे और फोनपे को उठाना पड़ सकता है नुकसान!

नई दिल्‍ली (New Delhi) । देश को किसी भी तरह के फाइनेंशियल क्राइसिस से बचाने के लिए RBI बैंकों से लेकर NBFCs और फिनेटक कंपनियों (fintech companies) तक पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं. आए दिन नियमों के उल्लंघन पर देश के छोटे बड़े बैंकों पर RBI के जुर्माना लगाने की खबरें आती रहती हैं. इसी कड़ी में मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) के शक में पेटीएम बैंक पर भी हाल ही में RBI ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे सेवाएं बंद करने के निर्देश दिए हैं. इसी तरह अब अगला कदम भारत में UPI सेगमेंट में छाईं विदेशी फिनटेक कंपनियों के दबदबे को खत्म करने पर हो सकता है.

मनी लॉन्ड्रिंग ने बढ़ाई मुश्किल!
दरअसल, अब यूपीआई बाजार में घरेलू फिनटेक कंपनियों को बढ़ावा देने और फोनपे, गूगल पे जैसे विदेशी ऐप का वर्चस्व खत्म हो सकता है. संचार और सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में विदेशी फिनटेक ऐप की ज्यादा हिस्सेदारी पर चिंता जताई है. इस समिति ने घरेलू App को बढ़ावा देने की सिफारिश की है. समिति ने कहा है कि विदेशी फिनटेक कंपनियां और ऐप भारतीय UPI क्षेत्र पर हावी हैं. समिति ने कई फिनटेक कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए होने की बात कहकर इन विदेशी कंपनियों को परेशानी में डाल दिया है.

30% मार्केट शेयर की सीमा तय होगी!
आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-नवंबर 2023 में ट्रांजेक्शन वॉल्यूम के मामले में फोनपे की बाजार हिस्सेदारी 46.91 फीसदी और गूगल पे की 36.39 परसेंट हिस्सेदारी थी. इस मामले में भारतीय ऐप BHIM UPI तो काफी पीछे हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि भारतीय UPI मार्केट में पूरी तरह से वॉलमॉर्ट की फोन पे और गूगल पे जैसी विदेशी कंपनियों का बोलबाला है.

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने अगले साल से UPI लेनदेन की संख्या के आधार पर घरेलू बाजार में फिनटेक ऐप की हिस्सेदारी अधिकतम 30 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है. वहीं समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विदेशी कंपनियों के मुकाबले भारतीय फिनटेक ऐप पर निगरानी रखना RBI और NPCI के लिए ज्यादा आसान होगा.

देसी फिनटेक कंपनियों को होगा फायदा!
रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की है कि फिनटेक सेक्टर में घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. स्वदेशी विकसित भीम यूपीआई इसकी अच्छी मिसाल है. हालांकि, यूपीआई बाजार में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत मेक इन इंडिया पर फोकस बढ़ा रहा है. इसलिए, समिति की राय है कि फिनटेक सेक्टर में घरेलू संस्थाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

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