मोदी सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल में टैक्स कलेक्शन तीन गुना हुआ, अब 2024 में क्या होगा?

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में व्यक्तिगत आय और कॉरपोरेट कर संग्रह तीन गुना बढ़कर 19 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। लोगों की आय पर रिफंड के समायोजन के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह वित्त वर्ष 2013-14 में 6.38 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 16.61 लाख करोड़ रुपये हो गया।

चालू वित्त वर्ष में शुद्ध प्रत्यक्ष कर – व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर – से संग्रह में अब तक 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इस गति से 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में लगभग 19 लाख करोड़ रुपये जुटाने की संभावना है। यह राशि 2023-24 के बजट में बताए गए 18.23 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से अधिक होगी।

पिछले कुछ वर्षों में, सरकार कम दरों और कम छूट के साथ कर व्यवस्था को सरल बनाने की कोशिश कर रही है। 2019 में, सरकार ने छूट छोड़ने वाले कॉर्पोरेट्स के लिए कर की कम दर की पेशकश की। इसी तरह की योजना अप्रैल 2020 में आम लोगों के लिए भी पेश की गई थी। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाकर, मूल छूट सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपये और मानक कटौती 50,000 रुपये कर व्यवस्था को और आकर्षक बनाया गया था। इसे आयकर रिटर्न फॉर्म में डिफॉल्ट कर व्यवस्था भी बनाया गया है।

हालांकि, इस साल आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत क्रेडिट कार्ड खर्च की सालाना सीमा 2.50 लाख डॉलर प्रति व्यक्ति करने के सरकार के प्रस्ताव को कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। विदेशी क्रेडिट कार्ड के खर्च को एलआरएस के तहत लाने के कदम का मतलब यह भी होगा कि भुगतान करते समय स्रोत पर कर संग्रह की कटौती करने की आवश्यकता होगी। बैंकों ने यह भी बताया कि टीसीएस में कटौती करते समय अनुपालन संबंधी समस्याएं होंगी और बाद में सरकार को प्रस्ताव के कार्यान्वयन को टालना पड़ा।

आयकर विभाग द्वारा किए गए विभिन्न सुधार उपायों के बाद कर आधार के विस्तार का संकेत देते हुए, व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा दाखिल आईटीआर की संख्या 2013-14 के 3.36 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 6.37 करोड़ हो गई, जिसमें 90 प्रतिशत की कुल वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2023-24 में 26 अक्टूबर, 2023 तक 7.41 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए जिसमें पहली बार रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 53 लाख हैं।

एक फरवरी को सरकार लेखानुदान पेश करेगी क्योंकि अप्रैल-मई में आम चुनाव होने हैं। चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार की ओर से पूर्ण बजट जुलाई, 2024 में पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 2014 में सत्ता में आई थी। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के भागीदार (प्रत्यक्ष कर) गौरी पुरी ने कहा कि कर प्रशासन के डिजिटलीकरण और अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने पर निरंतर ध्यान देने से उच्च कर अनुपालन दरों में योगदान मिला है। 2024 के लिए उम्मीद यह होगी कि सरकार कर निश्चितता बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष कर प्रावधानों को सुव्यवस्थित करना जारी रखे।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में चालू वित्त वर्ष में अब तक 20 फीसदी इजाफा होने और हर महीने जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि होने से 2024 में भी देश की अर्थव्यवस्था के सकारात्मक रूप से बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। मासिक वस्तु व सेवा कर संग्रह अप्रैल 2023 में 1.87 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2023-24 में औसत सकल मासिक जीएसटी संग्रह 1.66 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है।

केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद की इस साल हुई बैठकों में ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत कर लगाने पर स्पष्टीकरण दिया गया। परिषद ने दो बैठकों के दौरान यह स्पष्ट करने का फैसला किया कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म में प्रवेश के समय लगाई गई पूरी राशि पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाएगा।

इसके अलावा, परिषद ने सभी विदेशी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए जीएसटी अधिकारियों के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य बनाने का फैसला किया। जीएसटी अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कथित जीएसटी चोरी के लिए ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को 71 कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इनमें से कई कंपनियों ने इस मांग पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाया है।

इंडसलॉ के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) शशि मैथ्यूज ने कहा कि कर की उच्चतम दर लगाए जाने से ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में तेजी से वृद्धि रुक गई है। उन्होंने कहा, ‘यह उम्मीद की जा सकती है कि सरकार इस उद्योग की परेशानियों पर विचार करेगी। इनमें से कुछ मुद्दे अदालतों के समक्ष लंबित भी हैं और अदालतों से निर्णयों के रूप में भी कुछ राहत की उम्मीद की जा सकती है। कुल मिलाकर, 2024 में इन मुद्दों पर एक सकारात्मक हल निकलता हितधारकों के लिए फायदेमंद होगा।

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