‘चीन में लोकतंत्र नहीं, इसलिए उसकी भारत जैसे मूल्यों वाले देश से तुलना सही नहीं’, सीतारमण की दो टूक

नई दिल्ली। भारत की तुलना चीन से करने वालों की आलोचना करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत जैसे मूल्यों वाले देश की तुलना चीन से करना सही नहीं, क्योंकि चीन में लोकतंत्र नहीं है। उन्होंने कहा है कि भारत को आर्थिक मामलों में आत्मनिर्भरता हासिल करनी चाहिए। इसे आर्थिक शक्ति बनना चाहिए।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने के लिए वर्तमान में आर्थिक स्वतंत्रता की आवश्यकता है और आश्वासन दिया कि देश निकट भविष्य में विश्व अर्थव्यवस्था में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।

‘श्रीमती इंदिरा गांधी कॉलेज’ में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद सीतारमण ने कहा, “देश वैश्विक रैंकिंग में 10वें स्थान से पांचवें स्थान पर आ गया है और कुछ साल बाद हम तीसरा स्थान हासिल करेंगे।” उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर एकत्रित छात्रों से राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने की अपील करते हुए कहा, “आप जैसे छात्रों के प्रयासों से हमारा देश 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा।”

कुछ लोगों की ओर से चीन की प्रगति और भारत के साथ तुलना करने का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि दोनों देश 30 साल पहले एक स्तर पर थे। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (चीन) विभिन्न कारणों से प्रगति की है, जिसका यहां पालन नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए, चीन में कोई लोकतंत्र नहीं है। लेकिन हमारे पास नागरिक स्वतंत्रता है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यहां है और हमारी प्रणाली में मूल्य निहित हैं। एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए, हमें सकारात्मक रूप से सोचना चाहिए।

सीतारमण ने करीब 400 साल पहले भारत के एक समृद्ध देश होने का जिक्र करते हुए कहा कि आज भी इंडोनेशिया और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में भारत के संबंधों का संदर्भ मिलता है। चोल इंडोनेशिया गए थे और वहां एक राज्य स्थापित किया था। आज भी इसके संदर्भ मौजूद हैं।

सीतारमण ने कहा कि मैं यह कहने का प्रयास कर रही हूं कि आज के दिन जब हम महात्मा गांधी को याद करते हैं, हमें आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करनी चाहिए और साम्राज्यवादी ताकतों से मुक्त होना चाहिए। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में आपके (छात्रों के) सभी योगदान के साथ देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत (अभियान) के बारे में बात करते हैं।

भारत को पारंपरिक रूप से संस्कृति में समृद्ध बताते हुए उन्होंने कहा कि कई लोगों ने इस देश की विरासत की सराहना की है। सीतारमण ने कहा, “करीब 20 साल पहले कई देश टिप्पणी कर रहे थे कि भारत सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश है। लेकिन आज दुनिया के अधिकांश राष्ट्र यह देखकर चकित हैं कि हमने डिजिटल प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके कैसे प्रगति की है। वे डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में भारत को एक उदाहरण के रूप में देखते हैं।

उन्होंने कहा कि इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए भारत से अध्यक्षता लेने वाले ब्राजील के एक शीर्ष मंत्री ने भी अपने देश में डिजिटल प्रौद्योगिकी अवसंरचना के मामले में भारत से मेल पर संदेह जाहिर की थी। सीतारमण ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकी का मतलब भुगतान से जुड़ी सुविधाओं के बारे में नहीं है बल्कि यह कोविड-19 महामारी के दौरान हुई क्रांति के बारे में भी है जब मोबाइल फोन के माध्यम से टीकाकरण की स्थिति से जुड़े डिजिटल प्रमाणपत्र जारी किए गए।

उस दौरान आप अपने मोबाइल फोन में प्रमाण पत्र के साथ समय, तारीख, स्थान, और आपको कौन सा टीका दिया गया इसकी जानकारी प्राप्त करने में सक्षम थे। उन्होंने कहा, “हम हर क्षेत्र में डिजिटल का इस्तेमाल कर रहे हैं। न केवल भुगतान के लिए, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है।” पिछले 10 वर्षों में भारत में कई विकास कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

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