ये पॉलिटिक्स है प्यारे

तीन विधानसभा के हारे-जीते प्रत्याशी एकसाथ
जिस तरह से दलबदल चल रहा है, उससे भाजपा में एक नया रिकार्ड बनता जा रहा है। फिलहाल तो इंदौर की तीन विधानसभाओं के हारे-जीते प्रत्याशी भाजपा में आ गए हैं। सबसे पहले संजय शुक्ला और विशाल पटेल आए, जो क्रमश: एक नंबर और देपालपुर से हार गए थे। यहां पहले से ही जीते हुए प्रत्याशी के रूप में कैलाश विजयवर्गीय और मनोज पटेल मौजूद हैं ही, वहीं महू विधानसभा से भी निर्दलीय या कह लें कि कांग्रेस के बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े अंतरसिंह दरबार भाजपा में आ चुके हैं, जो मतदान के गणित में दूसरे नंबर पर रहे थे तो कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी रामकिशोर शुक्ला उर्फ भैयाजी भी शनिवार को भाजपा में शमिल हो गए। अब हारे हुए दरबार और शुक्ला यहां की विधायक उषा ठाकुर के साथ मंच साझा करेंगे। कहने वाले कह रहे हैं कि ये तो सिर्फ भाजपा में ही हो सकता है। वैसे आगे और भी कुछ धमाके कांग्रेस में होने वाले हैं, इसलिए तो इसे पॉलिटिक्स कहते हैं प्यारे….

भाजपा कार्यालय से ही चल रही दुकान
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता हंै। नगर अध्यक्ष के करीबी होने के कारण एक मोर्चा-प्रकोष्ठ का अध्यक्ष भी उन्हें बना दिया गया है। अब काम की बात करें तो अध्यक्षजी अधिकांश समय हुक्का-पानी लिए कार्यालय पर ही चढ़े रहते हैं, जबकि यहां उनके पास कोई काम ही नहीं है। अब गौरव के करीबी होने के कारण उन्हें कोई कुछ कहने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता। ऐसे और भी कई हैं, जो कार्यालय में नीचे-ऊपर होते रहते हैं और संगठन के सामने बताने से नहीं चूकते कि वे पार्टी के प्रति कितने समर्पित हैं।

सफाई देना पड़ी अजीत बौरासी को
अजीत बौरासी को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से तब सफाई देना पड़ी, जब उनके पिता का नाम भाजपा में जाने वालों में जोड़ दिया गया। बौरासी को कहना पड़ा कि वे भाजपा में नहीं गए हैं। दरअसल प्रेमचंद गुड्डू की तरह दिखने वाले एक कांग्रेसी ने भाजपा की सदस्यता ली थी। उनका फोटो पीछे से खींचा गया था और गुड्डू के ‘शुभचिंतकों’ ने वह वायरल कर दिया। अब देते रहो सफाई। वैसे आलोट से हारने के बाद गुड्डू कांग्रेस की राजनीति में दिख नहीं रहे हैं, लेकिन उनकी बेटी रीना लगातार सक्रिय हैं।

देवास में व्यस्त सज्जन
सज्जनसिंह वर्मा ने देवास-शाजापुर संसदीय सीट से चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा कर दी थी। सज्जन को डर था कि कहीं विधानसभा की तरह ही इस सीट से हाथ धोना न पड़े। वैसे वे एक बार यहां से सांसद भी रह चुके हैं। कांग्रेस ने यहां से राजेंद्र मालवीय को टिकट दिया है, लेकिन वे भी दम नहीं पकड़ पा रहे हैं। पुरानी सीट होने के कारण सज्जन भी इस सीट पर रुचि ले रहे हैं और कई बार वे देवास के आयोजनों में देखे जा चुके हैं। फिलहाल कहा जा रहा है कि वे देवास में व्यस्त हैं, ताकि मालवीय को ताकत मिले तो वे भी विधानसभा चुनाव के लिए अपना रास्ता बना सकें।


हजम नहीं हो रहे शुक्ला
जब से संजय शुक्ला जैसे नेता भाजपा में आए हैं, तब से वे कुछ भाजपाइयों की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। शुक्ला को हर मंच पर तवज्जो मिलती देखना भी इन्हें हजम नहीं हो रहा है। शुक्ला को खनन मामले में 140 करोड़ रुपए जमा करने का नोटिस क्या मिला, उसको लेकर भी सोशल मीडिया पर खूब खबरें दौड़ाई गईं कि इसीलिए शुक्ला ने भाजपा का दामन थामा है। वैसे भी शुक्ला राजनीति के नए खिलाड़ी नहीं हैं। अपने पिता से राजनीति के गुर सीखने वाले शुक्ला विरोधियों की चाल भी समझने में लगे हैं और वक्त आने पर जवाब देने की तैयारी भी कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर मुस्लिम कांग्रेसी की भड़ास
कांग्रेस ने अक्षय बम जैसे चेहरे को अपना लोकसभा प्रत्याशी बनाया है, लेकिन उनकी अपनी ही पार्टी के युवक कांग्रेस सचिव सरफराज अंसारी ने कह डाला कि वे मुस्लिमों से दूरी बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह भी ऐसे समय, जब पूरा मुस्लिम समाज इबादत में लगा हुआ है। अक्षय को रोजा इफ्तार पार्टी में बुलाया जाता है, लेकिन वे आते नहीं हैं। शहर के कुल मतदाताताओं में से 3 लाख वोट मुस्लिमों के हैं, जिनकी वे पूछपरख नहीं कर रहे हैं। अब ये तो अक्षय ही जानें कि ऐसा वे क्यों कर रहे हैं?

भाजपा कार्यालय के पास खुली शराब दुकान खुलना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। ऐसे समय तब चुनाव भी चल रहे हो। बताया जा रहा है कि दुकान खुलने के पीछे भाजपा के ही एक बड़े नेता की मौन सहमति है। इसी से दुकान संचालक के भाव बढ़े हुए हैं । बदले में तगड़ी सेवापानी की बात भी सामने आ रही है। इसलिए दुकान यहां से नहीं हट रही।
-संजीव मालवीय

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