जो कर रहे थे जीत के दावे वो जमानत भी नहीं बचा पाए!

जबलपुर। हाल ही में संपन्न हुए नगर निगम चुनाव में महापौर पद के लिए जहां 11 उम्मीदवार मैदान में थे तू वही 79 वालों के लिए 350 से ज्यादा पार्षद प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमाने चुनावी समर में मौजूद रहे मतगणना के पहले तक जो प्रत्याशी अपनी जीत के दावे कर रही थे उनमें से अधिकतर प्रत्याशियों को अपनी जमानत बचाने के लाले पड़ गए यदि जीत हार की बात की जाए तो महापौर पद के लिए चुनाव मैदान में उतरे 11 प्रत्याशियों में से सिर्फ कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवार की ही जमानत बचपाई चुनाव जीतने वाले जगत बहादुर और डॉ जितेंद्र जामदार के अलावा बाकी नो प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाय और महापौर पद के 9 उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई अब यदि शहर के बालों की बात की जाए तो 79 वार्डों में कांग्रेस भाजपा के अलावा बसपा शिवसेना आम आदमी पार्टी और ए आई एम आई एम के उम्मीदवार भी मैदान में थे इसके अलावा बड़ी तादाद में निर्दलीय और बागी उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे थे यदि इन प्रत्याशियों की बात की जाए तो इनमें से सात निर्दलीय और दो प्रत्याशी ए आई एम आई एम कि चुनाव जीते हैं बाकी सैकड़ों उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा यहां तक कि उनमें से ज्यादातर की जमानत भी नहीं बच पाई इनमें से बसपा को जरूर एक दो सीटों पर जीत हासिल होने की जानकारी है जबकि आम आदमी पार्टी का खाता तक नहीं खुला।


वही शिवसेना भी इस बार मैदान से बाहर हो गई कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेश भाजपा ही चुनाव में मुख्य मुकाबले में रहे बाकी तो सिर्फ चुनाव लडऩा है यही सोच कर अपना फार्म भर आए और चुनाव मैदान में उतर पडे अब यह अलग बात है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया और मतगणना के पहले तक सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे थे लेकिन परिणाम सामने आते ही उनके हाथों से तोते उड़ गए इतना जरूर हुआ है कि साथ वालों में बिजय हासिल करने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों ने जरूर इन 7 वार्डो मैं समीकरण बदल दिए जिसका खामियाजा कांग्रेस और भाजपा को भुगतना पड़ा हालांकि इन निर्दलीय उम्मीदवारों में कुछ कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार शामिल रहे जिनके मैदान में होने से चुनाव परिणामों पर असर भी दिखा अब जबकि चुनाव परिणाम सामने आ चुके है तो निर्दलीय और दूसरे दलों से जीते प्रत्याशियों को अपने खेमे में लाने की कवायद तेज हो गई है कांग्रेश भाजपा दोनों ही दल इस प्रक्रिया में लग गए हैं अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में समीकरण क्या बनते हैं

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