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    मॉडल दिव्या पाहूजा मर्डर केस की चार्जशीट में हुआ बड़ा खुलासा, चौंका देगी मर्डर केस की वजह

  • April 05, 2024

    नई दिल्ली: नए साल के दूसरे ही दिन यानी 2 जनवरी को गुरुग्राम के एक होटल से कुछ तस्वीरें सामने आईं थीं, जो मीडिया और सोशल मीडिया में कई दिनों तक सुर्खियों में रहीं. उस होटल में होटल के मालिक ने ही एक मॉडल की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद वो उसकी लाश को घसीटते हुए कार की डिग्गी तक ले गया था. अब वारदात के तीन महीने बाद उस मॉडल के कत्ल की जो वजह सामने आई है, वो बेहद चौंकाने वाली है. आइए आपको बताते हैं मॉडल दिव्या पाहूजा के सनसनीखेज कत्ल की पूरी कहानी.

    क़त्ल के बाद किसी लाश को ठिकाने लगाने का सीसीटीवी फुटेज आम तौर पर नहीं दिखता. लेकिन गुरुग्राम की रहने वाली 27 साल की मॉडल दिव्या पाहुजा के क़त्ल के मामले में जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो मौका-ए-वारदात से जो सीसीटीवी फुटेज मिला, उसमें कुछ ऐसी ही तस्वीरें कैद थीं. और ये तस्वीरें सिहरन पैदा करने वाली थीं. दिव्या के क़त्ल के बाद कुछ लोग उसकी लाश को कुछ इसी तरह से घसीट कर मौका-ए-वारदात से दूर ले जा रहे थे.

    अब क़त्ल की इस वारदात के पूरे 88 रोज़ बाद गुरुग्राम पुलिस ने इस सिलसिले में कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है. इस चार्जशीट में आरोपी के कबूलनामे के हवाले से पुलिस ने ना सिर्फ क़त्ल के पूरे सिक्वेंस का ज़िक्र किया है, बल्कि चार्जशीट में दिव्या को मारे जाने का ऐसा मकसद दर्ज है. जो किसी भी हैरान कर सकता है.

    साल के दूसरे ही दिन यानी 2 जनवरी 2024 को हुई क़त्ल की इस वारदात ने तब सिर्फ गुरुग्राम नहीं बल्कि पूरे दिल्ली एनसीआर को झकझोर कर रख दिया था. वैसे तो दिव्या के क़त्ल की बुनियाद उसी रोज़ पड़ गई थी, जिस रोज़ उसकी गुरुग्राम के होटेलियर अभिजीत सिंह से मुलाकात हुई. क्योंकि ये मुलाका़त कोई मामूली मुलाकात नहीं, बल्कि एक शादीशुदा शख्स के साथ एक लड़की के ऐसे रिश्तों की शुरुआत थी, जिसे अभिजीत हमेशा ही छुपा कर रखना चाहता था. लेकिन दिव्या ने अभिजीत की इस कमजोरी का फायदा उठाने की प्लानिंग रची, जो आखिरकार दिव्या के क़त्ल के साथ खत्म हुई.


    523 पन्नों की इस चार्जशीट में गुरुग्राम पुलिस ने दिव्या के क़त्ल को लेकर जो बातें लिखी हैं, उसका एक-एक हर्फ चौंकाने वाला है. पुलिस की मानें तो अभिजीत ने दिव्या का क़त्ल उसकी ब्लैकमेलिंग से उकता कर कर डाला. लेकिन दिव्या की ब्लैकमेलिंग ही क़त्ल की सिर्फ एक इकलौती वजह नहीं थी, बल्कि दिव्या का समलैंगिक होना भी अभिजीत के गुस्से की एक वजह बना. अब दिव्या और अभिजीत के मुलाकात से शुरू हुई लव, लस्ट और धोखे की इस दास्तान के अनजाने पहलुओं का जिक्र करेंगे.

    लेकिन सबसे पहले चार्जशीट में लिखी बातों के हवाले से आपको बताते हैं कि वारदात वाले दिन आखिर दिव्या और अभिजीत के बीच ऐसा क्या हुआ कि अभिजीत ने दिव्या को गोली मार दी? आखिर वो कौन सी बात थी कि एक ही कमरे में कई घंटे साथ गुज़ारने के बाद अभिजीत ने गन का ट्रिगर दबा दिया और निशाने पर दिव्या का सिर आ गया? आखिर वारदात वाले दिन दिव्या ने अभिजीत से ऐसा क्या कह दिया कि उसका खुद के गुस्से पर काबू नहीं रहा और उसके हाथों गोली चल गई?

    क्योंकि अभिजीत पहले ही इस बात का खुलासा किया था कि उसने दिव्या को मारने की प्लानिंग कोई बहुत पहले से नहीं की थी, बल्कि वारदात वाले दिन कुछ ऐसा हुआ कि उसने दिव्या की जान ले ली. यही वजह है कि दिव्या का क़त्ल के बाद अभिजीत ने उसकी लाश ठिकाने लगाने की साजिश आनन-फानन में रची और इसी लाश निपटाने के चक्कर में अभिजीत के 6 और साथी भी नप गए. पुलिस ने अपनी जांच में अभिजीत समेत कुल सात लोगों को दिव्या के क़त्ल का आरोपी बनाया है और इनमें अभिजीत और उसके दोस्तों के साथ-साथ उसे गन सप्लाई करने वाले का नाम भी शामिल है.

    तो आइए अब आपको वारदात वाले दिन की पूरी कहानी सुनाते हैं… दिव्या को गुरुग्राम के होटल सिटी प्वाइंट में उसके दोस्त अभिजीत सिंह ने 2 जनवरी की शाम करीब 6 बजे बिल्कुल करीब से सिर में गोली मार दी थी. गुरुग्राम के इस होटल का मालिक खुद अभिजीत सिंह ही था. लेकिन ये वारदात बेशक 2 जनवरी को हुई, इसके सिलसिले की शुरुआत साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को तभी हो गई थी, जब दिव्या अभिजीत से मिलने के लिए अपने घर से निकली थी. दिव्या ने अभिजीत से मिलने जाने की बात अपने घरवालों को भी बताई थी, लेकिन तब किसी को नहीं पता था कि ये दिव्या की उनसे आमने-सामने की आखिरी मुलाकात है और इसके बाद वो कभी घर नहीं लौटेगी.

    असल में दिव्या के साथ अभिजीत नाजायाज रिश्तों की बदौलत दिव्या के पास अभिजीत की कुछ ऐसी प्राइवेट तस्वीरें थी, जिनके आम हो जाने पर अभिजीत की भारी बेइज्जती होती. और दिव्या को इस बात की खबर थी. जिसके चलते वो अभिजीत से समय-समय पर रुपये लिया करती थी. अभिजीत ने पुलिस को बताया है कि उसने दिव्या को पहले ही साढ़े तीन लाख रुपये से ज्यादा दे रखा था. जिनमें करीब 1 लाख 40 हजार रुपये का एक आईफोन भी शामिल था. लेकिन रुपये-पैसों की दिव्या की मांग कम होने की जगह लगातार बढ़ती जा रही थी. और अब हाल के कुछ दिनों में दिव्या उससे 30 लाख रुपये की भारी भरकम रकम मांग रही थी.

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    दिव्या ने अभिजीत को धमकी दी थी कि अगर उसने उसे 30 लाख रुपये नहीं दिए, तो फिर वो अपने और उसके रिश्ते की एक-एक बाद अभिजीत के परिवार वालों और उसके दोस्तों को बता देगी. जिसके बाद अभिजीत काफी तनाव में आ चुका था. वारदात के सिक्वेंस का जिक्र करते हुए गुरुग्राम पुलिस ने बताया है कि एक जनवरी को दिव्या उसे ढूंढती हुई दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन फेज वन में मौजूद उसके मकान जे-21 में पहुंची. जहां उसके दोस्त बलराज, रवि बंगा, प्रवेश और मेधा भी मौजूद थे. दिव्या के वहां पहुंचने के बाद मेधा उसके घर से जल्दी चली गई. लेकिन इसके बाद दिव्या ने उस पर रुपयों के लिए फिर से दबाव बनाना शुरू कर दिया. अब अभिजीत को लगने लगा कि कहीं दिव्या उसके दोस्तों के सामने उसकी बेइज्जती ना कर दे, इसलिए उसने दिव्या से बातचीत करने और मामले को सुलझाने के लिए उसे घर से दूर ले जाने का फैसला किया… इसके बाद एक और दो जनवरी की दरम्यानी रात को वो दिव्या और अपने दोस्त बलराज को लेकर गुरुग्राम के अपने होटल सिटी प्वाइंट के लिए निकला. तीनों अभिजीत की मिनी कूपर कार में साउथ एक्स वाले मकान से रात करीब सवा तीन बजे निकले. और एक घंटे बाद यानी करीब सवा चार बजे होटल सिटी प्वाइंट पहुंच गए.

    अभिजीत ने वहां एक कमरा यानी रूम नंबर 114 अपने लिए रिजर्व कर रखा था. जहां वो अक्सर रुका करता था. लेकिन उस रात जब तीनों होटल में पहुंचे, तो फिर रूम नंबर 114 की चाबी नहीं मिली. जिसके बाद उसने अपने लिए रूम नंबर 111 खुलवा लिया और इस कमरे में दिव्या के साथ रुक गया. अभिजीत ने अपने दोस्त बलराज को होटल से वापस भेज दिया. बलराज के जाने के बाद अभिजीत और दिव्या रूम नंबर 111 में ही आराम करने लगे और सो गए. अगले दिन दोपहर को दोनों की आंख खुली. और जागने के बाद दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे. लेकिन इसके बाद चीज़ें फिर से बिगड़ने लगी. इसी दौरान दिव्या ने खुलासा किया वो एक समलैंगिक लड़की है और उसे लड़कियां पसंद हैं.

    अभिजीत का कहना था कि इसके बाद उसने अपनी दोस्त मेधा से दोपहर करीब साढे तीन बजे फोन पर बात की. और उसे अपने पास होटल में बुलाया. लेकिन इसी बीच दिव्या ने फिर से 30 लाख रुपयों की मांग शुरू कर दी. जिससे बात इतनी बिगड़ गई कि अभिजीत ने अपने पास मौजूद देसी पिस्टल से शाम करीब छह बजे दिव्या के सिर में गोली मार दी. गोली लगते ही दिव्या रूम नंबर 111 के फ़र्श पर गिर पड़ी और पूरा कमरा खून से भर गया.

    अभिजीत ने पुलिस के सामने कबूल किया कि दिव्या की हत्या करने के बाद उसे कुछ देर तक तो समझ में नहीं आया कि उसे आगे क्या करना है? इसलिए वो देर तक उसी कमरे में बेड पर बैठा रहा. इसके बाद उसने होटल में अपना रूम यानी रूम नंबर 114 भी खुलवा लिया था. तब तक शाम हो चुकी थी. इस बीच देर तक को दिव्या की लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सोचता रहा. आखिरकार उसने अपने दोस्त बलराज और रवि बंगा को अपने पास बुला लिया और उन्हें सारी बात बता दी. उसने दोनों को लाश ठिकाने लगाने के लिए राजी कर लिया. और रात करीब 10 बजकर 44 मिनट पर उसने अपने होटल के कुछ भरोसेमंद मुलाजिमों की मदद से दिव्या की लाश रूम नंबर 111 से बाहर निकलवाई और उसे एक ट्रंक में भर कर अपनी बीएमडब्ल्यू कार की डिग्गी में रखवा दिया. ये बीएमडब्ल्यू कार बलराज और बंगा अपने साथ लेकर होटल पहुंचे थे. जहां से वो सीधे लाश ठिकाने लगाने के लिए पंजाब की तरफ निकल गए.

    तो ये तो रही कत्ल वाली रात की कहानी, जिसका पुलिस ने अपनी चार्जशीट में तफ्सील से जिक्र किया है. इसके साथ-साथ पुलिस ने ये भी बताया है कि आखिर कैसे अभिजीत के दोस्तों ने दिव्या की लाश को संगरूर के भाखड़ा कनाल में ले जाकर ठिकाने लगा दिया और कैसे दोनों पटियाला में अभिजीत की बीएमडब्लयू कार लावारिस छोड़ कर फरार हो गए.

    बाद में पुलिस ने कैसे इस वारदात के 11 दिन बाद 13 जनवरी को दिव्या की लाश बरामद की. पुलिस इस मामले में अभिजीत, उसके दोस्त और पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के वकील बलराज गिल, रवि बंगा, अभिजीत की एक और फीमेल फ्रेंड मेधा, अभिजीत के पीएसओ प्रवेश और होटल के कर्मचारी हेमराज और ओम प्रकाश को इस मामले में गिरफ्तार किया है और चार्जशीट में दिव्या के कत्ल से लेकर उसकी लाश निपटाने में सभी के रोल का जिक्र है.

    हालांकि इस मामले में पुलिस को अभी भी एक शख्स की तलाश है, जिसका नाम नदीम है. ये नदीम है जिसने अभिजीत के पीएसओ प्रवेश को नाजायज अस्लहे की सप्लाई की थी, जिसका इस्तेमाल दिव्या के कत्ल में किया गया. लेकिन आखिर मॉडल दिव्या होटेलियर अभिजीत सिंह के संपर्क में कैसे आई? और दोनों के रिश्ते से लेकर उसके क़त्ल तक की ये कहानी कैसे शुरू हुई. ये जानना भी कम अहम नहीं है.

    बात आज से 10 साल पहले की है. उन दिनों हरियाणा में और खास कर गुरुग्राम में गैंगस्टर संदीप गाडोली का एकछत्र राज चलता था. रंगदारी वसूली, सट्टेबाजी, रॉबरी से लेकर नाजायज कब्जे, शायद ही कोई ऐसा जुर्म था, जिसमें संदीप गाडोली का नाम ना आता हो. मगर जुर्म के इस खेल में संदीप अकेला नहीं था, बल्कि उसके होते हुए एक और गैंगस्टर बिंदर गुज्जर भी गुरुग्राम में पैर जमाने की कोशिश कर रहा था. और दोनों अक्सर एक दूसरे से टकाराया करते थे. इसी टशनबाज़ी में एक रोज़ गडोली के लड़कों ने बिंदर गुज्जर के एक खासमखास अशोक गुज्जर का काम तमाम कर दिया. बस, फिर क्या था? बिंदर अब गाडोली के खून का प्यासा बन गया. वो हर हाल में उसे अपने रास्ते से हटाना चाहता था. लेकिन वो जानता था कि संदीप से अकेले भिड़ना मुश्किल है. और ऐसे में उसने पुलिस के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया.

    बिंदर ने अपने सूत्रों के ज़रिए गुरुग्राम क्राइम ब्रांच के कुछ पुलिसवालों से बात की और उन्हें गाडोली के बारे में पिन प्वाइंट जानकारी देने का वादा किया. पुलिस को और क्या चाहिए था? वो तो खुद ही संदीप गाडोली की तलाश में पिछले कई महीनों से दिन रात एक किए हुए थी. और बस यही वो पल था, जब कहानी में दिव्या पाहुजा की एंट्री हुई. असल में 18 साल की दिव्या उन दिनों गुरुग्राम के रहने वाले मनीष खुराना को डेट कर रही थी. मनीष, गाडोली का ही गुर्गा था. अभी दिव्या और मनीष का रिश्ता किसी मुकाम तक पहुंचता, उससे पहले ही मनीष की बर्थ डे पार्टी में गैंगस्टर संदीप गाडोली की नजर बला की खूबसूरत दिव्या पाहुजा पर पड़ी. और गैंगस्टर गडोली इस अपकमिंग मॉडल पर लट्टू हो गया. अब दिव्या जैसा कहती, गाडोली वैसा ही करता.

    मुंबई पुलिस की मानें तो गाड़ौली के दुश्मन बिंदर गुज्जर ने अब एक ऐसा जाल बुना कि उसमें संदीप गाड़ौली बुरी तरह उलझ कर रह गया. आप सबसे पहले इस जाल को समझिए फिर आगे की कहानी बताते हैं. असल में गैंगस्टर बिंदर गुर्जर का एक खास आदमी है मनोज गुर्जर. मनोज गुर्जर पर भी जुर्म के कई मामले हैं. लेकिन ये मनोज गुर्जर दिव्या पाहुजा की मां सोनिया पाहुजा को भी जानता है और गुरुग्राम क्राइम ब्रांच के कुछ पुलिसवालों से भी उसका वास्ता था. तो लब्बोलुआब ये है कि ये घुमा-फिरा कर दो दुश्मनों बिंदर गुर्जर और संदीप गाड़ौली के बीच की सबसे अहम कड़ी है.

    अब आपको आगे की कहानी बताते हैं. उन दिनों गुरुग्राम में जुर्म की वारदातों को अंजाम देने के बाद संदीप गाड़ौली अक्सर पुणे और मुंबई को अपना ठिकाना बनाता था. वो कुछ दिनों तक वहां रुकता और गुरुग्राम में जब सबकुछ शांत हो जाता, तो वो फिर से वापस लौट आता था. हरियाणा पुलिस को खबर मिलती है कि गैंगस्टर संदीप गाड़ौली फिर गुरुग्राम से निकला है और इस बार उसकी गर्लफ्रेंड दिव्या भी उसके साथ है. पुलिस गाड़ौली का पीछा शुरू करती है. पुलिस को पता चलता है कि गाड़ौली राजस्थान के भिवाडी की तरफ गया है. अब पुलिस की एक टीम भिवाडी पहुंचती है. लेकिन जब तक टीम भिवाड़ी पहुंचती, गाड़ौली भिवाडी से निकल जाता है. अब पुलिस को पता चलता है कि गाड़ौली जयपुर की तरफ निकल गया है. पुलिस अब जयपुर की तरफ भागती है. लेकिन तब तक गाड़ौली जयपुर से आगे अजमेर निकल जाता है.

    और आखिरकार अगले दिन यानी 6 फरवरी को पुलिस को खबर मिलती है कि गाड़ौली राजस्थान से होता हुआ मुंबई पहुंच चुका है. और तो और हरियाणा पुलिस को ये भी पता चल जाता है कि वो मुंबई के किस होटल में, कौन से कमरे में ठहरा है? यानी होटल एयरपोर्ट मेट्रो का कमरा नंबर 107. आप सोच रहें होंगे कि आखिर उन दिनों हरियाणा पुलिस को गाड़ौली के हर मूवमेंट की इतनी सटीक जानकारी कैसे मिल रही थी? यहां तक कि उसका पिन प्वाइंट लोकेशन भी पुलिस को कैसे पता चल रही थी? तो इसका जवाब है कि गाड़ौली के दुश्मन नंबर वन गैंगस्टर बिंदर गुर्जर ने हरियाणा पुलिस से यही तो वादा किया था. और मुंबई पुलिस की मानें तो गैंगस्टर गाड़ौली और उसकी लोकेशन के बारे में हर छोटी बड़ी जानकारी कोई और नहीं बल्कि खुद उसकी गर्लफ्रेंड दिव्या पाहुजा पुलिस को दे रही थी.

    मुंबई पुलिस के मुताबिक, दिव्या मोबाइल फोन पर अपनी मां सोनिया पाहुजा से बात कर रही थी. बातचीत कोड लैंग्वेज में हो रही थी, ताकि गैंगस्टर गाड़ौली को पता ना चले. मसलन, ‘मम्मी मेरी तबीयत ठीक नहीं है, मैं डॉक्टर के पास जा रही हूं.’ इसका मतलब था कि दिव्या उस समय अकेली है और संदीप उसके साथ नहीं है. ठीक इसी तरह ‘मम्मी दवाई लेके आई हूं… मैं खा लूंगी.’ मतलब संदीप उसके साथ है. मां सोनिया पाहुजा ये सारी बातें बिंदर गुर्जर के खास आदमी मनोज गुर्जर को बता रही थी और मनोज गुर्जर यही बातें आगे हरियाणा यानी गुरुग्राम पुलिस को बता रहा था. इस तरह गुरुग्राम पुलिस को गाड़ौली के हर मूवमेंट, हर चाल की पल-पल की खबर मिल रही थी.

    और बस, इसी तरह हरियाणा पुलिस संदीप गाड़ौली का पीछा करती हुई मुंबई पहुंची और उसने सोची समझी साजिश के तहत संदीप गाड़ौली को मुंबई के उसी एयरपोर्ट मेट्रो होटल में ढेर कर दिया, जहां वो अपनी गर्लफ्रेंड दिव्या पाहुजा के साथ रुका था. मुंबई पुलिस ने संदीप गाड़ौली के एनकाउंटर के उस मामले को लेकर अपनी चार्जशीट में यही लिखा है. इस चार्जशीट के मुताबिक क़त्ल के इस मामले में हरियाणा पुलिस की टीम के साथ-साथ दिव्या पाहुजा और उसकी मां सोनिया पाहुजा भी शामिल थी, जिन्हें गैंगस्टर बिंदर गुर्जर के आदमी मनोज गुर्जर ने ना सिर्फ इस साजिश में शामिल कर लिया था, बल्कि ये काम करा देने पर उन्हें घर दिलाने का भी वादा किया था.

    जाहिर है, संदीप गाड़ौली का एनकाउंटर शुरू से ही शक के घेरे में आ चुका था. और मुंबई पुलिस, गुरुग्राम पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी थी. ये मामला अब भी मुंबई की अदालत में चल रहा है. लेकिन इसी बीच 8 महीने पहले दिव्या पाहुजा को मुंबई हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी. लेकिन इससे पहले कि वो जिंदगी में आगे बढ़ पाती, कोई नई शुरुआत करती. नए साल में 2 जनवरी के दिन गुरुग्राम में उसका कत्ल हो गया. पुलिस की मानें तो गैंगस्टर बिंदर गुर्जर ने ही दिव्या की मुलाकात अभिजीत से करवाई थी और दोनों पास आ गए थे.

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