नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट (karnataka high court) ने लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) न केवल वैध विवाह, बल्कि शून्य विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप पर भी पूरी तरह लागू होगी। जज सुरज गोविंदराज की एकल पीठ ने 18 नवंबर को यह व्यवस्था दी। अब यह प्रावधान भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 85 और 86 में शिफ्ट हो चुका है, लेकिन उसका सार वही है।
मामला एक व्यक्ति की उस याचिका से जुड़ा था जिसमें उसने अपनी दूसरी पत्नी की शिकायत पर दर्ज 498A का केस रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की पहली शादी वैध थी और उससे एक बेटी भी है। इसके बावजूद उसने 2010 में दूसरी महिला से शादी कर ली और 2016 तक उसके साथ पति-पत्नी की तरह रहा। बाद में दूसरी महिला ने दहेज मांगने, मारपीट और क्रूरता का आरोप लगाते हुए 498A में केस दर्ज कराया। उसका कहना था कि व्यक्ति ने पहली शादी छुपाई थी।
याचिकाकर्ता के वकील का क्या था तर्क
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