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रायसीना हिल्स के करीब द्रौपदी मुर्मू

– प्रो. श्याम सुंदर भाटिया मायावती जब पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव विदेश दौरे पर थे। किसी पत्रकार ने राव से पूछा कि दलित की बेटी मुख्यमंत्री बन गई है, कैसे संभव हुआ? सियासी पुरोधा राव ने अपनी हाजिर जवाबी में कहा, यह लोकतंत्र का चमत्कार है। बरसों […]

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कितने परोपकारी हैं भारत के पूंजीपति

– आर.के. सिन्हा गौतम अडाणी ने सेहत, शिक्षा और कौशल विकास के लिए 60 हजार करोड़ रुपये देने का संकल्प लिया है। जाहिर है कि यह कोई-छोटी मोटी राशि तो नहीं है न? देखिए , इससे सुखद कोई बात नहीं हो सकती कि देश में आप जो भी अपनी बुद्धि और मेहनत से दिन-रात एक […]

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पर्यावरण संरक्षण का भारतीय चिंतन

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री सद्गुरु योगी वासुदेव जग्गी का सेव सॉयल अभियान भारतीय चिंतन के अनुरूप है। हमारे ऋषि युगद्रष्टा थे। उन्होंने पर्यावरण के महत्व का वैज्ञानिक आधार प्रतिपादित किया था। जबकि उस समय हमारी पृथ्वी प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण थी। पर्यावरण पर कोई संकट नही था। फिर भी हमारे ऋषि हजारों वर्ष के भविष्य […]

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फिर याद आया, वह काला दिन!

– डॉ. वेदप्रताप वैदिक 26 जून, 1975 का काला दिन आज 46 साल बाद मुझे फिर याद आया। 25 जून, 1975 की मध्य रात्रि तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने आपातकाल की घोषणा पर आंख मींचकर हस्ताक्षर कर दिए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जी-हुजूरों ने दिल्ली के कई बड़े अखबारों की बिजली कटवा दी […]

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राष्ट्रपति चुनाव में सरकार का मास्टर स्ट्रोक

– डॉ. विपिन कुमार राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर भाजपा नीति राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने विपक्ष को दुविधा में डाल दिया है। यह निर्णय न केवल विपक्ष को घेरने का प्रयास है बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी हैं। सरकार का यह मास्टर स्ट्रोक है। इसका असर आगामी लोकसभा चुनाव के साथ […]

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संसार हमारे अनुसार नहीं चलता

– हृदयनारायण दीक्षित सृजन में आनंद है। हम एक छोटी सी कविता लिखते हैं। मन आनंद से भर जाता है। किसी पौधे को सींचते हैं, पौधा प्रसन्न हो जाता है। पौधे की प्रसन्नता देखी जा सकती है। सृजन का आनंद सृजन के लिए और भी प्रेरित करता है। आनंदित चित्त अराजक नहीं होते। जान पड़ता […]

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आपातकाल में छिन गई थी देश की स्वतंत्रता

– सुरेश हिन्दुस्थानी सत्ता की ताकत का दुरुपयोग कैसे किया जाता है। इसका उदाहरण कांग्रेस सरकार द्वारा 1975 में देश पर तानाशाही पूर्वक लगाया गया आपातकाल है। जिसमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार ही समाप्त कर दिया था। इसे एक प्रकार से देश की आजादी को छीनने का दुस्साहसिक प्रयास भी माना जा सकता है। […]

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शिवसेना-संकट के सबक

– डॉ. वेदप्रताप वैदिक यह मानकर चला जा सकता है कि महाराष्ट्र की गठबंधन-सरकार का सूर्य अस्त हो चुका है। यदि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने बाकी नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने को भी तैयार हों तो भी यह गठबंधन की सरकार चलने वाली नहीं है, क्योंकि शिंदे उस नीति के बिल्कुल खिलाफ हैं, […]

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सामाजिक परिवर्तन की संवाहक होंगी द्रौपदी मुर्मू

– शिवराज सिंह चौहान भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने जनजातीय गौरव द्रौपदी मुर्मू को भारत के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद के लिये उम्मीदवार घोषित कर न केवल समाज के सभी वर्गों के प्रति सम्मान के भाव को पुनः सिद्ध किया है अपितु कांग्रेस शासन के उस अंधे युग के अंत की भी घोषणा भी कर […]

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सिद्धांतविहीन सत्ता का समापन !

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री उद्धव ठाकरे की अमर्यादित आकांक्षा पूरी हो चुकी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों की सूची में उनका शुमार हो चुका है। यह बात अलग है कि उन्हें शासन के धृतराष्ट्र के रूप में याद किया जाएगा। बाला साहब ठाकरे की विरासत को रौंदते हुए वह मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। यह […]