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योगी सरकार का अभियान, सूखे का स्थाई समाधान

– गिरीश पांडेय

ऐसा माना ही नहीं जाता है, बल्कि काफी हद तक सच है कि प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, सूखा, तूफान एवं आकाशीय बिजली आदि) पर किसी का वश नहीं होता। बावजूद इसके अगर सरकार संवेदनशील हो तो इन आपदाओं से होने वाले जान-माल की क्षति को बहुत हद तक न्यूनतम किया जा सकता है। और इस दिशा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार लगातार काम कर रही है। बाढ़ और सूखा उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख समस्याएं हैं। सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं सरकार के लिए भी एक समस्या है। किसी-किसी साल तो सरकार को इन दोनों मोर्चों पर एक साथ जूझना पड़ता है। एक ओर बाढ़ के लिए दूसरी ओर सूखे के लिए कंटीजेंसी प्लान बनाना पड़ता है। इन दोनों का हल भी कमोबेश एक ही है। बारिश के दौरान उपलब्ध पानी का बेहतर प्रबंधन और उसके बाद के दिनों में उसका प्रभावी उपयोग।

योगी सरकार प्रदेश के करोड़ों किसानों के हित में इन दोनों समस्याओं का क्रमशः स्थाई हल निकालने को प्रतिबद्ध दिख रही है। बाढ़ को लेकर अभिनव प्रयोग हो चुके हैं। नतीजे भी अच्छे रहे हैं। लिहाजा ये काम जारी रहेंगे। चूंकि इस साल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में औसत से कम बारिश हुई है। मौसम विज्ञान विभाग के 30 अगस्त तक के आंकड़ों के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश में औसत बारिश 620.3 मिलीमीटर की तुलना में 347.1 मिलीमीटर बारिश हुई। इसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसी समयावधि के दौरान 543 मिलीमीटर के सापेक्ष 307.8 मिलीमीटर बारिश हुई। समग्रता में यह औसत बारिश की तुलना में 50 फीसद से कुछ अधिक है।

लिहाजा इससे होने वाले सूखे के स्थाई समाधान की दिशा में 30 अगस्त को कैबिनेट की बैठक में सरकार ने 62 जिलों में 2100 नलकूप लगवाने का फैसला लिया है। इन सभी नलकूपों को 2023 से 2024 तक लगवाने का लक्ष्य है। इसमें 84198.83 लाख रुपये की लागत आएगी। इनके लग जाने पर सिंचन क्षमता में 10500 हेक्टेयर का विस्तार होगा। यह हालिया उदाहरण तो मात्र एक नजीर है। सरकार सूखे की समस्या के स्थाई हल निकालने पिछले पांच वर्षों से लगी है। सिंचन क्षमता में अभूतपूर्व विस्तार, प्रमुख नहरों को स्प्रिंकलर प्रणाली से जोड़ने की योजना, गंगा एवं अन्य बड़ी नदियों के किनारे बन रहे बड़े एवं बहुउद्देश्यीय तालाब, खेत-तालाब, आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हर जिले में बनने बनने वाले अमृत सरोवर, सोलर पंप, नलकूपों का सौर ऊर्जा से ऊर्जीकरण, ड्रिप एवं स्प्रिंकलर प्रणाली आदि योजनाएं इसका प्रमाण हैं।

पानी को छोड़ खेती हर चीज की प्रतीक्षा कर सकती है। यही वजह है कि हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं। प्राथमिकता में वे योजनाएं हैं जो पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण वर्षों से लंबित हैं। इसी बाबत केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री सिंचाई योजना’ शुरू की। इस योजना के जरिये सरकार दशकों से लंबित कई सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन्हीं योजनाओं में करीब पांच दशक से लंबित बाण सागर, अर्जुन सहायक नहर, सरयू नहर परियोजना को सरकार पूरी कर चुकी है। अमरोहा, संभल और मुरादाबाद के करीब चार लाख किसानों को लाभ पहुंचाने वाली मध्य गंगा परियोजना भी शीध्र पूरी होगी। इसके पूरा होने पर करीब 2.46 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रीस्ट्रक्चरिंग परियोजना से अमेठी, रायबरेली, इटावा, एटा, कन्नौज, कानपुर शहर, कानपुर देहात, कासगंज, कौशांबी, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, बाराबंकी, मैनपुरी और ललितपुर के लाखों किसान लाभान्वित होंगे। अपेक्षाकृत कम बारिश वाले बुंदेलखंड में सूखा पड़ना आम बात है। लिहाजा वहां सिंचन क्षमता के विस्तार और वर्षा जल के संचयन पर सरकार का खासा जोर है। अर्जुन सहायक नहर के अलावा वहां भवानी बांध, रसिन, लखेरी, रतौली, बंडई, मसगांव एवं चिल्ली, कुलपहाड़ एवं शहजाद बांध स्प्रिंकलर सिंचाई परियोजना और जाखलौन नहर प्रणाली की पुनर्स्थापना का भी काम हो रहा है। बारिश के पानी के हर बूंद का उपयोग हो। सूखे के समय भी किसानों को भरपूर मात्रा में पानी उपलब्घ हो इसके लिए सरकार अब तक 24583 खेत-तालाब खुदवा चुकी है। इनमें से अधिकांश (80 फीसद) बुंदेलखंड, विंध्य, क्रिटिकल एवं सेमी क्रिटिकल ब्लाकों में हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 10 हजार और खेत-तालाब तैयार करने की है। पांच साल का लक्ष्य 37500 खेत तालाब का निर्माण करना है। इनका निर्माण कराने वाले किसानों को सरकार 50 फीसद का अनुदान देती है। इस समयावधि में इन पर 457.25 करोड़ रुपये खर्च करने का है।

सरकार की मंशा है कि सिंचाई के लिए बिजली पर किसानों की निर्भरता क्रमशः कम से कम की जाए। इसके लिए वह अधिक से अधिक किसानों को सोलर पंप लगाने को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार भारी-भरकम करीब (60 फीसद) अनुदान पर 30864 सोलर पंप किसानों को उपलब्ध करा चुकी है। कम बारिश के मद्देजर इस साल तय लक्ष्य 15000 से 10 हजार अतिरिक्त सोलर पंप देने की है। अब तक 19 हजार से अधिक किसानों के आवेदन कृषि विभाग के पास आ चुके हैं। सात हजार किसान अपना अंशदान भी जमा कर चुके हैं। अपना अंश जमा करने वाले किसानों के खेतों में यह यथाशीघ्र लगें इसके लिए सरकार अपने हिस्से का 37 करोड़ रुपये का राज्यांश जारी कर चुकी है।

अतिरिक्त लक्ष्य के लिए जिलेवार किसानों से आवेदन मांगे जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। अगले पांच साल में एक लाख किसानों को सोलर पंप देने का इससे 227400 हेक्टेयर रकबे की सिंचाई होगी। यूनिवर्सल सोलर पंप प्रयोग कर किसान सिंचाई से अतिरिक्त बिजली से चारे की कटाई के अलावा आटा चक्की,शीत गृह, बैट्री चार्जिंग आदि में भी उपयोग कर सकते हैं। सिंचाई पर बिजली की निर्भरता कम करने के लिए सरकारी नलकूपों को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत करने का निर्देश मुख्यमंत्री ने एक बार फिर हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान दिया। भूगर्भ जल स्तर में सुधार और सूखे के दौरान सिंचाई के काम आने के लिए सरकार गंगा नदी के किनारे बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का भी निर्माण करा रही है।

आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में बनाए जा रहे अमृत सरोवरों का भी यही उद्देश्य है। फिलहाल उत्तर प्रदेश इनके निर्माण में नंबर एक है। ग्राम्य विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अमृत सरोवर के रूप में अब तक 15441 तालाबों का चयन हुआ है। 10656 के निर्माण का काम चल रहा है। 8389 तालाब अमृत सरोवर के रूप में विकसित किए जा चुके हैं। कम पानी में अधिक से अधिक रकबे को सिंचित करने के मकसद से सरकार ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई की दक्ष विधाओं को प्रोत्साहित करने के लिए इन पर 80 से 90 फीसद तक अनुदान दे रही है। सरकार की योजना सभी नई सिंचाई परियोजनाओं को कृषि जलवायु क्षेत्र के अुनसार ड्रिप एवं स्प्रिंकर से जोड़ने की है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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