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अबू सलेम प्रत्यर्पण के दौरान पुर्तगाल से किए वादे का सम्मान करने को केंद्र बाध्य : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि केंद्र (Center) प्रत्यर्पण के दौरान (During Extradition) पुर्तगाल से किए गए वादे (Promise made to Portugal) का सम्मान करने (To Honor) और गैंगस्टर अबू सलेम (Gangster Abu Salem) की 25 साल की सजा पूरी होने पर (On Completion of 25 Years of Sentence) रिहा करने के लिए बाध्य है (Bound to be Released) । न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अबू सलेम द्वारा याचिका पर फैसला सुनाया। अबू सलेम ने पुर्तगाल में काटी तीन साल की सजा का जिक्र करते हुए और प्रत्यर्पण के वक्त किए गए वादों को पूरा करने की मांग करते हुए आजीवन कारावास की अवधि पूरी होने पर साल 2027 में रिहाई की मांग की थी।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “उम्रकैद का फैसला देने वाली कोर्ट प्रत्यर्पण के समय सरकार की तरफ से दूसरे देश को किए गए वादे से बंधी नहीं है। पुर्तगाल में हिरासत के 3 साल सजा का हिस्सा नहीं है। 2005 में प्रत्यर्पण हुआ है और भारत में 25 साल की सजा काटने के बाद ही सरकार निर्णय लेगी।” कोर्ट ने कहा कि अबू सलेम को 2030 तक रिहा नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसकी 25 साल की हिरासत अवधि पूरी करने के बाद, केंद्र सरकार भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि के बारे में राष्ट्रपति को सलाह दे सकती है।

बता दें, अब सलेम को 11 नवंबर 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था। जून 2017 में सलेम को दोषी ठहराया गया और बाद में मुंबई में 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों में उसकी भूमिका के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 12 मार्च, 1993 को मुंबई में लगभग दो घंटे में एक के बाद एक 12 विस्फोट किए गए थे। इस हमले में 257 लोगों की मौत हुई थी और 713 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।

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