
मुम्बई। NIA यानी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency) की मुंबई में एक विशेष अदालत (Special court.) ने मंगलवार को वर्ष 2006 में हुए मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon blast case) में चार आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। उत्तरी महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में आठ सितंबर 2006 को एक कब्रिस्तान के बाहर हुए विस्फोटों में कम से कम 37 लोगों की मौत हो गई थी और 125 लोग घायल हुए थे।
एनआईए मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश चकोर बाविस्कर ने लोकेश शर्मा, धन सिंह, मनोहर सिंह और राजेंद्र चौधरी के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोप तय किए।
विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी ने पहले आरोपियों के खिलाफ आरोपों का मसौदा प्रस्तुत किया था। एजेंसी ने दावा किया कि आरोपियों ने मध्य प्रदेश में यह साजिश रची थी, जहां उन्हें हथियार चलाने और बम बनाने का प्रशिक्षण भी मिला था। आरोपपत्र में आरोप लगाया गया कि इन लोगों की साइकिल खरीदने से लेकर उन्हें विस्फोटक को फिट करने और विस्फोट स्थलों तक पहुंचाने तक अलग-अलग भूमिकाएं थीं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2007 में मक्का मस्जिद बम धमाके में एक केस दर्ज हुआ। उस केस के एक आरोपी स्वामी असीमानंद ने कथित तौर पर यह कहा था कि आरएसएस के एक पदाधिकारी सुनील जोशी ने उसे कहा था कि मालेगांव में धमाके उनके लड़कों का काम है। उसने कथित तौर पर कहा था कि वलसाड में भरत रातेश्वर के घर पर बैठक हुई थी, जहां धमाके को लेकर चर्चा हुई थी।
साल 2011 में NIA ने केस संभाला और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। चार्जशीट में जोशी, रामचंद्र कलसांगरा, रमेश और संदीप डांगे का नाम आया। 29 दिसंबर 2007 को जोशी की कथित तौर पर हत्या हो गई थी।
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