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बलूचिस्तान में पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन चल रहा खतरनाक चाल


नई दिल्ली: पाकिस्तान और चीन की सदाबहार दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. इसी सदाबहार दोस्ती को लेकर भारतीय सेना ने एक डोजियर जारी किया है, जिसमें बलूच लोगों के खिलाफ पाकिस्तान के अत्याचारों का भंडाफोड़ किया गया है. डोजियर में बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के अत्याचारों को लेकर चीन का भी उल्लेख किया गया है.

डोजियर के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन दोनों दोस्त मिलकर बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं. विभिन्न सूत्रों से मिली जानकारी और डेटा के आधार पर डोजियर में कहा गया कि पाकिस्तान बलूचिस्तान के ग्वादर और अन्य तटीय क्षेत्रों को चीनी गढ़ में तब्दील कर रहा है.

चीन की ग्वादर बंदरगाह पर लगभग पांच लाख चीनी नागरिकों को बसाने की योजना है. पाकिस्तान ने 2017 में ग्वादर बंदरगाह को चीन समर्थित एक मल्टीनेशनल कॉरपोरेशन को 40 सालों की लीज के लिए सौंप दिया था. चाइना ओवरसीज पोर्ट होल्डिंग कंपनी इस बंदगाह के विकास का काम कर रही है.

डोजियर में कहा गया, चीन ने पोर्ट टाउन के निर्माण और 300 मेगावॉट के कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र को खोलने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं. 23 करोड़ डॉलर की लागत से एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का निर्माण कर रहा है. इसके साथ ही चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के तहत अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है. डोजियर में कहा गया कि जियवानी, सोनमियानी और अन्य इलाकों में नए बेस बनाए जा रहे हैं.


बलूच लोग अपनी जमीन और नौकरियां खो रहे हैं और बदले में उन्हें कुछ भी नहीं मिल रहा. 1990 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान ने चीन से एम-9 और एम-11 मिसाइलों की मांग की थी, जिसे चीन ने 1993 में सौंपा. इसके बदले में चीन की सरकारी कंपनी मेटालर्जिकल कॉरपोरेशन ऑफ चाइना को प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बलूचिस्तान के चगाई क्षेत्र को 20 साल के लिए लीज पर दे दिया. यहां कंपनी को सैनडक और रेको डिक नाम की दो जगहों पर सोने और तांबे के दो भंडार मिले.

मेटालर्जिकल कॉरपोरेशन ऑफ चाइना 2002 से ही सोने और तांबे की खुदाई कर रहा है और इससे उसे सालाना तौर पर 25 टन सोने और 12 से 15,000 टन तांबा मिला. इन खुदाई से हुए मुनाफे का पचास फीसदी चीन और 48 फीसदी पाकिस्तान को मिला जबकि बलूचिस्तान को मात्र दो फीसदी ही मिला.

डोजियर में कहा गया, बलूचिस्तान के कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अरबों डॉलर की सीपीईसी परियोजना के खिलाफ आवाज उठाई और इसे बलूचिस्तान की प्राकृतिक संपदा को लूटने और हड़पने की परियोजना बताया. इन परियोजनाओं से बलूच के लोगों को व्यवस्थित रूप से बाहर रखा गया. उन्हें न सिर्फ रोजगार और विकास की संभावनाओं से वंचित रखा गया बल्कि निर्माणाधीन स्थलों के लिए उन्हें जबरन उनकी ही जमीन से बेदखल किया गया.

इस डोजियर में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों और इस क्षेत्र में लोगों के रहस्यमय तरीके से लापता होने का भी जिक्र किया गया है. बता दें कि सीपीईसी चीन और पाकिस्तान की द्विपक्षीय परियोजना है, जो 3000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला सड़कों, रेलों और पाइपलाइनों का व्यापक नेटवर्क है. इसका मकसद चीन, पाकिस्तान और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच व्यापार को आसान बनाना है.

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