बड़ी खबर

कानून मंत्री की टिप्पणी पर CJI की दो टूक, बोले- कोई भी मामला छोटा नहीं होता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा है कि उसके लिए कोई मामला छोटा (no matter small) नहीं है, यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता (personal freedom) का मामला होगा तो हम उसमें जरूर हस्तक्षेप करेंगे। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने कहा कि अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते तो हम यहां क्या कर रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणियां कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) के गुरुवार को संसद में दिए गए बयान के बाद आई हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं और फालतू पीआईएल पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए, बल्कि संवैधानिक मसलों की सुनवाई करनी चाहिए।


मुख्य न्यायाधीश की पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें व्यक्ति को बिजली की चोरी के लिए कुल 18 साल की लगातार सजा काटने का आदेश दिया गया। आरोपी ने प्ली बार्गेनिंग स्वीकार कर ली थी और उसे नौ मामलों में से प्रत्येक में दो साल की सजा सुनाई गई। अधिकारियों ने माना कि सजाएं एकसाथ के बजाय एक के बाद एक चलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुल 18 साल की सजा होती है।

सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा मामला बिल्कुल चौंकाने वाला है। अपीलकर्ता पहले ही सात साल की सजा काट चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यह आदेश देने से इनकार करने के बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उसकी सजा एकसाथ चलनी चाहिए। पीठ ने कहा यदि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना है तो हम यहां किसलिए हैं। हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और हम इस व्यक्ति की रिहाई का आदेश नहीं देते हैं तो हम यहां किसलिए हैं। ऐसे में हम संविधान के अनुच्छेद 136 का उल्लंघन कर रहे हैं।

पीठ ने मामले में वरिष्ठ वकील एस नगामुथु की सहायता मांगी। नगामुथु ने हाईकोर्ट के आदेश को गलत बताते हुए कहा, इससे यह आजीवन कारावास बन जाएगा। मुख्य न्यायाधीश ने तुरंत कहा, इसलिए सुप्रीम कोर्ट की जरूरत है, जब आप यहां बैठते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता और कोई मामला बहुत बड़ा नहीं होता।

कोर्ट ने कहा कि हम यहां अंतरात्मा की पुकार और नागरिकों की स्वतंत्रता की पुकार का जवाब देने के लिए हैं। यही यहां कारण है। यह बंद मामला नहीं हैं। जब आप यहां बैठते हैं और रात को फाइलें पढ़कर आते हैं तो आपको एहसास होता है कि हर रोज कोई न कोई मामला ऐसा ही होता है।

पीठ ने आदेश में कहा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अहस्तांतरणीय अधिकार है। ऐसी शिकायतों पर ध्यान देने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपना कर्तव्य निभाता है, न अधिक और न ही कम। यह कहते हुए कोर्ट ने दोषी इकराम की सजाओं को एक साथ चलाने का आदेश दे दिया।

Share:

Next Post

PM मोदी पर भुट्टो की टिप्पणी के खिलाफ BJP आज पूरे देश में करेगी प्रदर्शन

Sat Dec 17 , 2022
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के खिलाफ पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो (Pakistani leader Bilawal Bhutto) की ओर से की गई निंदनीय और अभद्र टिप्पणी के खिलाफ भाजपा (BJP) शनिवार को देशव्यापी धरना-प्रदर्शन करेगी। भुट्टो पर करारा प्रहार करते हुए भाजपा ने कहा कि पड़ोसी देश के विदेश मंत्री की इस हरकत […]