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भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की मौत का दावा!

न्यूयॉर्क (New York)। खालिस्तान स्मर्थक आतंकवादियों (pro khalistan terrorists) की हो रही एक के बाद एक हत्याओं के बीच अमेरिका (US) से बड़ी घटना सामने आई है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि अमेरिका में भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकवादी और सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannu, founder of Sikhs for Justice) की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के हाईवे 101 पर उसकी कार का एक्सीडेंट हुआ है, हालांकि, उसकी मौत की अभी तक औपचारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

बता दें कि भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकवादी और सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू लंबे समय से अंडरग्राउंड रहकर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल था। उसे डर था कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर, अवतार सिंह खांडा की तरह उसे भी निशाना बनाया जा सकता है। गुरपतवंत सिंह पन्नू सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता था और खालिस्तान की स्थापना को लेकर डींगे हांकता रहता था।



भारत में घोषित आतंकी है पन्नू
भारत सरकार ने 1 जुलाई 2020 को UAPA कानून के तहत आतंकवादी घोषित कर रखा है। जुलाई 2020 में पंजाब पुलिस ने अमृतसर और कपूरथला में पन्नू के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। पन्नू अक्सर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खालिस्तान को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता था। उसने अपने तथाकथित खालिस्तान में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को भी शामिल करने की धमकी दी थी। पन्नू के इशारे पर उसके संगठन सिख फॉर जस्टिस के आतंकवादियों ने दुनियाभर में हिंदू मंदिरों, भारतीय दूतावासों और नागरिकों को निशाना बनाया है।

 

अमृतसर में पैदा हुआ था आतंकी पन्नू
गुरपतवंत सिंह पन्नू अमृतसर के खानकोट गांव में पैदा हुआ था। वह बाद में कमाई करने विदेश चला गया और आईएसआई के सहयोग से पंजाब में खालिस्तानी मुहिम को फिर से जिंदा करने की कोशिश में है। उसने विदेशों में रहने वाले सिखों को बरगलाकर खालिस्तान के पक्ष में भड़काया। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी आईएसआई से मिले पैसों से भारत में हिंसा फैलाने की साजिश भी रची।

पैसों का लालच देकर युवाओं को भटकाता था
पन्नू पैसों का लालच देकर भोले-भाले युवाओं को भटकाता था। उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और खाालिस्तान के प्रति सहानूभुति रखने वाले लोगों से पैसा मिलता था। इसका इस्तेमाल वह आतंक फैलाने और खालिस्तान को लेकर फर्जी का रेफरेंडम आयोजित करने के लिए करता था।

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